Question : वैज्ञानिक लिपि के रूप में देवनागरी लिपि के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
(2006)
Answer : विश्व में प्रयोग होने वाली हर लिपि में कुछ न कुछ अपनी निजी विशेषताएं होती हैं जो उन्हें अन्य लिपियों से अलग तथा विशिष्ट बनाती है, हालांकि इन विशेषताओं में कुछ को उस लिपि का गुण माना जाता है, तो कुछ को दोष के रूप में देखा जाता है। देवनागिरी लिपि भी इसका उपवाद नहीं है। इस प्रकार देवनगरी लिपि की भी कुछ विशेषताएं गुण की श्रेणी में आते हैं, तो कुछ को उसके दोष ....
Question : आधुनिक हिन्दी में लिंग व्यवस्था
(2001)
Answer : संज्ञा के जिस रूप से व्यक्ति या वस्तु की जाति का बोध हो, उसे व्याकरण में ‘लिंग’ कहते हैं। सारी सृष्टि की तीन मुख्य जातियां हैं- 1. पुरुष 2. स्त्री और 3. जड़। अनेक भाषाओं में इन्हीं तीन जातियों के आधार परं लिंग के भी तीन भेद किये गए हैं- 1. पुंल्लिंग 2. स्त्रीलिंग और 3. नपुंसक लिंग। संस्कृत, पालि, प्राकृत और एक सीमा तक अपभ्रंश में तीन लिंग थेः पुंल्लिंग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग। इसके विपरीत, ....
Question : देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता
(2000)
Answer : देवनागरी लिपि में अनेक ऐसी विशेषताएं पायी जाती हैं, जो एक वैज्ञानिक लिपि के लिए आवश्यक है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि विश्व की कोई भी लिपि सभी दृष्टियों से पूर्णतः वैज्ञानिक नहीं होती, उसमें कुछ न कुछ कमियां अवश्य होती हैं और देवनागरी लिपि इसका अपवाद नहीं है। हालांकि यह अवैज्ञानिकता देवनागरी लिपि में अन्य लिपियों के मुकाबले बहुत ही कम है। देवनागरी लिपि की निम्न विशेषताएं उसे एक आदर्श या ....
Question : देवनागरी लिपि के मानवीकरण के लिए किए गए प्रयत्नों को स्पष्ट करते हुए संगणक यंत्र (कंप्यूटर) एवं आधुनिक दूरसंचार-सुविधाओं को दृष्टि में रखते हुए उसमें आवश्यक सुधारों पर प्रकाश डालिए।
(1999)
Answer : संविधान द्वारा देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी को राजभाषा स्वीकार करने के बाद देवनागरी के मानकीकरण का प्रश्न भी एक अहम प्रश्न रहा है। रोमन लिपि की तुलना में देवनागरी को हीन और अयोग्य ठहराने के लिए देवनागरी के विपक्ष में अनेक तर्क दिये जाते रहे हैं।
आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा ने इन तर्कों को एक जगह बहुत सुसंगत रूप में प्रस्तुत किया है-
‘‘प्राविधिक दृष्टि से देवनागरी पिछड़ी हुई है और उसके वर्तमान रूप के रहते, उसमें ....