बिहार के तीन विभूतियों को पप्रश्री सम्मान

राष्ट्रपति ने 25 जनवरी, 2023 को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों ‘पप्र पुरस्कारों’ की घोषणा की। इनमें बिहार के तीन विभूतियों को पप्रश्री अवार्ड के लिये चुना गया है।

  • पप्रश्री पुरस्कार के लिये चयनित बिहार के तीन विभूतियों में सुभद्रा देवी, आनंद कुमार और कपिल देव प्रसाद शामिल हैं।
  • कला के क्षेत्र में: सुभद्रा देवी और कपिल देव प्रसाद।
  • साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में: आनंद कुमार
  • सुभद्रा देवीः यह मधुबनी के भिठी सलेमपुर से सम्बन्धित है तथा वे पेपरमेसी कलाकार हैं, जो रद्दी कागज से बनाए जाने वाली एक कला है। पेपर मेसी एक फ्रांसीसी शब्द है। सुभद्रा देवी को 1991 में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया था।
  • कपिलदेव प्रसादः इनका सम्बन्ध नालंदा जिले के बिहारशरीफ के बसवन बीघा गांव से है, इन्होंने बावन बूटी कला को एक पहचान दी है।

बावन बूटी कला

  • मूलतः एक तरह की बुनकर कला है। सूती या तसर के कपड़े पर हाथ से एक जैसी 52 बूटियां, यानि मौटिफ टांके जाने के कारण इसे बावन बूटी कहा जाता है। बूटियों में बौद्ध धर्म-संस्कृति के प्रतीक चिह्नों की बहुत बारीक कारीगरी होती है। बावन बूटी में कमल का फूल, बोधि वृक्ष, बैल, त्रिशूल, सुनहरी मछली, धर्म का पहिया, खजाना, फूलदान, पारसोल और शंख जैसे प्रतीक चिह्न ज्यादा मिलते हैं।
  • आनंद कुमारः ‘सुपर 30’ संस्थानके संस्थापक आनंद कुमार एक गणितज्ञ हैं। आनंद कुमार के इस ‘सुपर 30’ अभियान पर मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल पर एक घंटे की डाक्यूमेंट्री भी दिखाई गयी थी।
  • गरीब बच्चों को आईआईटी-जेईई की कोचिंग देने के लिए उनका नाम सन 2009 में लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी शामिल किया गया था। सुपर 30 अभियान को ‘टाइम’ मैगजीन में ‘बेस्ट ऑफ एशिया 2010’ की सूची में भी शामिल किया गया था।
  • 2010 में उन्हें इंस्टीटड्ढूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) की तरफ से ‘रामानुजन अवार्ड’ दिया गया था।
  • भारत में राजकोट के आठवें राष्ट्रीय गणित सम्मलेन में रामानुजन गणित पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने भी उन्हें महर्षि वेद व्यास पुरस्कार से सम्मानित किया था और उन्हें कर्पगम यूनिवर्सिटी से डी एस सी की डिग्री भी दी गयी थी।

राज्य परिदृश्य