आलेख

पीएम गति शक्ति योजना : अवसंरचनात्मक विकास में भूमिका एवं महत्व - (डॉ. अमरजीत भार्गव)
निर्माण गतिविधियों में संलग्न विभिन्न एजेंसियों के मध्य सहयोग एवं समन्वय की व्यापक कमी देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति में, बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को समयबद्ध रूप में पूरा करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, इससे अंतिम रूप से परियोजनाओं की लागत में वृद्धि होती है। समस्याओं को पहचान कर पीएम गति शक्ति योजना के अंतर्गत इन्हें एकीकृत रूप में संबोधित करने का प्रयास किया गया है। इस योजना

भावनात्मक बुद्धिमत्ता : नैतिक और समावेशी शासन का प्रेरक
भावनात्मक बुद्धिमत्ता, भावनाओं के अनुशासन की ऐसी योग्यता है, जिसके माध्यम से व्यक्ति स्वयं की तथा सामने वालों की भावनाओं को समझकर उनका प्रबंधन करता है। नैतिक शासन एवं समावेशी शासन दोनों ही विधि के शासन पर आधारित सुशासन से आगे बढ़कर मूल्यों पर आधारित व्यवस्था की स्थापना से संबंधित हैं। इसलिए इनकी स्थापना तथा विकास के लिए ऐसे मानव संसाधन की आवश्यकता है, जो संस्कारों तथा मूल्यों के आधार

भारत-नेपाल संबंध : मौजूदा चुनौतियां एवं सहयोग के क्षेत्र
भारत और नेपाल के बीच संबंध व्यापक और बहुआयामी हैं तथा दोनों देशों ने ऐतिहासिक संबंधों को औपचारिक स्वर प्रदान करने के लिए 17 जून, 1947 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। नेपाल, सीमा पार संपर्क, बुनियादी ढांचा विकास, वित्तीय कनेक्टिविटी जैसी पहलों के माध्यम से भारत की आर्थिक प्रगति से लाभ उठाने में सक्षम हुआ है। दोनों देशों का ऐतिहासिक काल से सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक संपर्क रहा

असंगठित क्षेत्र का सुदृढ़ीकरण : सामाजिक सुरक्षा हेतु संरचनात्मक हस्तक्षेप आवश्यक
असंगठित क्षेत्र में सुधार समय की मांग है। इस क्षेत्र में बेरोजगारी के बढ़ते स्तर के साथ, श्रमिकों को पुनः नियोजित करना आवश्यक है। सरकार को इस क्षेत्र को संगठित रूप देने, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा रोजगार के उचित एवं पर्याप्त अवसर प्रदान करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है।नवीनतम आंकड़ों के अनुसार ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत अनौपचारिक क्षेत्र के 27.69 करोड़ श्रमिकों में से 94 प्रतिशत

क्लाइमेट फाइनेंस : जलवायु शमन एवं अनुकूलन में इसकी भूमिका
जलवायु वित्तीयन यानी क्लाइमेट फाइनेंस पिछले एक से अधिक दशक से विकसित एवं विकासशील देशों के मध्य मतभेद का विषय रहा है। वर्तमान में विकासशील देशों में जलवायु परिवर्तन से निपटने वाले कार्यों को लागू करने हेतु निवेश के लिए धन की कमी है। ऐसे में क्लाइमेट फाइनेंस पवन या सौर जैसी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में वित्तपोषण को बढ़ावा देकर विकासशील देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में

वन हेल्थ मॉडल : उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने का संधारणीय दृष्टिकोण
मानव, वन्यजीव तथा पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य को स्थायी रूप से संतुलित और अनुकूलित करने हेतु वन हेल्थ दृष्टिकोण (One Health Approach) महत्वपूर्ण है| वन हेल्थ दृष्टिकोण स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाला एक सहयोगी, बहु-क्षेत्रीय और बहुविषयक दृष्टिकोण है, जिसका लक्ष्य लोगों, जंतुओं, वनस्पतियों और उनके साझा वातावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानते हुए इष्टतम स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त करना है। जनवरी 2022 में खाद्य एवं

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की वहनीयता : नवीन चुनौतियां एवं समाधान
21वीं सदी में लगातार वैश्वीकरण की प्रक्रिया में तेजी आई है। इंटरनेट तथा नवीन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विश्व के लगभग सभी देश पहले की तुलना में एक दूसरे पर अधिक निर्भर हैं। ऐसी स्थिति में, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्त्व में वृद्धि हुई है, क्योंकि इनके माध्यम से वस्तुओं तथा सेवाओं के आयात-निर्यात को अपेक्षाकृत अधिक कुशलता के साथ उद्गम स्थल से गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है। किंतु,
निबन्ध
क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
इतिहासकार अर्नोल्ड टॉयनबी का कथन है कि 'महान सभ्यताएं नष्ट नहीं की जाती हैं, बल्कि वे स्वयं नष्ट हो जाती हैं'। इन्होंने अपनी 12 खंडों में लिखी गई महान कलाकृति 'ए स्टडी ऑफ हिस्ट्री' में 28 विभिन्न सभ्यताओं के उत्थान एवं पतन की खोज की है। अपने निष्कर्षों में टॉयनबी ने सभ्यताओं के पतन के अनेक कारण वर्णित किए हैं। इन सभ्यताओं के अध्ययन तथा वर्तमान संदर्भ में इनकी तुलना करके हम उन चिंताओं का पता लगा सकते हैं जिनके आधार पर वर्तमान सभ्यता के पतन की बात की जा रही है। सभ्यताओं के पतन को जनसंख्या में कमी तथा