Question : कठोर विज्ञान के रूप में दर्शन की हुस्सर्ल की संकल्पना पर चर्चा करें।
(2003)
Answer : दर्शन के प्रचलित ढंग से हुस्सर्ल का विरोध है। हुस्सर्ल के अनुसार दार्शनिक चिन्तन का प्रचलित ढंग जिस आधार पर टिका हुआ है, वह चिन्तन का वास्तविक आधार नहीं है। चिन्तन का वास्तविक आधार वही हो सकता है, जिसे किसी अन्य आधार की अपेक्षा न हो। अतः चिन्तन के वास्तविक आधार को स्वतः सिद्ध तथा स्वतः प्रदत्त होना आवश्यक है, अन्यथा सभी चिन्तन पूर्णतया कृत्रिम हो जाएगा। हुस्सर्ल का लक्ष्य है कि ऐसे स्वतः प्रदत्त ....
Question : सामान्य का न्याय वैशेषिक विचार।
(2003)
Answer : न्याय वैशेषिक दर्शन में विभिन्न व्यक्तियों में एकाकरता की अनुभूति या अनुवृत्ति प्रत्यय की व्याख्या के लिए ‘सामान्य’ नामक एक स्वतंत्र पदार्थ की सत्ता स्वीकार की गयी है। इसे जाति भी कहा जाता है। यह वह पदार्थ है, जिसके कारण भिन्न-भिन्न व्यक्ति एक जाति के अन्तर्गत समाविष्ट होकर एक नाम से जाने जाते हैं। जैसे संसार के भिन्न-भिन्न मनुष्यों में आकार, रंग, लंबाई आदि के भेद के बावजूद उन्हें मनुष्य संज्ञा से अभिहित किया जाता ....
Question : हुस्सर्ल की कोष्ठक प्रणाली की दार्शनिक महत्व को स्पष्ट कीजिए।
(2001)
Answer : Epoche अर्थात् कोष्ठीकरण का अर्थ है- अलग रखना, अलिप्त होना। विधि के रूप में इसका अर्थ है- अलग रखने का प्रयत्न अथवा अलिप्त रहने का प्रयत्न, अर्थात् विधि रूप में यह ‘कुछ’ ऐसे भावों, विचारों, विश्वासों से अलग रहने का प्रयत्न है। जो किसी न किसी रूप में अन्वेषण-विषय को घेरे रहते हैं। हुस्सर्ल के अनुसार घेरे रखनेवाला प्रभाव प्रकृतिवादी विश्वासों का है। अतः इपोखे की कोष्ठीकरण का अर्थ है- ऐसे विश्वासों से अपने आपको ....
Question : हुस्सर्ल की पूर्वमान्यता रहित खोज की परियोजना (टिप्पणी)।
(1999)
Answer : फेनोमेनोलाजी का सम्बन्ध अनुभववाद से है। चूंकि अनुभव में प्राप्त इन्द्रिय संवेदनाओं का स्वरूप फेनोमेना के रूप में है, इसलिए उसे फेनोमेनोलिज्म (Phenomenolism) कहा जाता है। लेम्बर्ट, कांट, हीगल आदि के दर्शन में भी ‘फेनोमेना’ शब्द का प्रयोग मिलता है। कांट आभासी जगत के लिए फेनोमेना शब्द का प्रयोग करते हैं। हीगल चेतना के विकास की विभिन्न अवस्थाओं के लिए ‘फेनोमेना’ शब्द का प्रयोग करते हैं, जबकि हुस्सर्ल द्वारा किया गया ‘फेनोमेना’ का प्रयोग पूर्ववर्ती ....
Question : एडमंड हुस्सर्ल की घटना-क्रिया-विज्ञान विषयक मूलभूत संकल्पनाओं की व्याख्या कीजिए। यह केवल एक दार्शनिक रीति है या इसे तत्वमीमांसा माना जा सकता है?
(1997)
Answer : फेनोमेनोलाजी एक सत्त सत्यान्वेषण की प्रणाली है, जिसका उदय समकालीन पाश्चात्य दर्शन में एक वैचारिक आन्दोलन के रूप में हुआ है। इस घटना-क्रिया-विज्ञान (फेनोमेनोलाजी) के प्रर्वतक एडमंड हुर्स्सल हैं। दार्शनिक रूप में हुस्सर्ल का लक्ष्य दर्शन को पूर्णतः असंदिग्ध एवं अकाट्य बनाना था, परन्तु ऐसा तभी सम्भव हो सकता है, जब दार्शनिक ज्ञान के क्षेत्र में वैसी समस्त मान्यताओं का निराकरण कर दिया जाए, जिस पर संदेह सम्भव है। यह फेनोमेनोलाजी सत्य के रूप में ....