Question : जैन दर्शन के पुद्गल का स्वरूप।
(2007)
Answer : जैन दर्शन में पुद्गल जड़ तत्व या भौतिक तत्व है। तत्व रूप में पुद्गल का प्रयोग बौद्ध दर्शन में यह शब्द जीव के लिए आया है, किन्तु जैन दर्शन में यह भौतिक तत्व के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। यह विश्व का भौतिक आधार है। स्पर्श, रस, गन्ध और वर्न पुद्गल के गुण है। व्युत्पति के अनुसार पुद्गल वह है जिसका संयोग और विभाग हो सके। इस परिभाषा का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है ....