Question : क्या निरीश्वरवाद भी एक धर्म हो सकता है? चर्चा कीजिए।
(2005)
Answer : धर्म दर्शन में यह महत्वपूर्ण विवाद है कि धर्म के लिए ईश्वर आवश्यक है अथवा नहीं। ईश्वरवदी दार्शनिक अपने धर्म की प्रकृति के अनुकूल यह मानते हैं कि धर्म के लिए ईश्वर अनिवार्य है। मार्टिन्यु, गैलोव और श्लाय मास्टर आदि ईश्वरवादियों ने धर्म की परिभाषा प्रस्तुत करते हुए उसमें ईश्वर को अनिवार्य तत्व घोषित किया है। प्रो. फ्रिलंट ने तो यहां तक कहा है कि ईश्वरवाद से कम कुछ स्वीकार्य नहीं है और ईश्वरवाद के ....
Question : ईश्वरविहीन धर्म।
(2002)
Answer : ईश्वरविहीन धर्म ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता। इसके अनुसार ईश्वर के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है। फ्रिलन्ट के शब्दों में ईश्वरविहीन धर्म ईश्वर के अस्तित्व और विश्वास का विरोध करने वाला सिद्धांत है। विचारों में तो आस्ति और नास्ति का द्वैत रहता ही है, किंतु आज के इस वैज्ञानिक युग में जो कि प्रत्यक्षवाद में अधिक विश्वास करता है, ईश्वरविरोधी विचारों की कमी नहीं है। अनेक ऐसे मत प्रचलित हैं, जिन्हें ईश्वर ....
Question : धर्म को प्रायः अलौकिक सत्ता में विश्वास पर आधारित माना जाता है। परंतु कुछ विचारक (उदाहरणतः अगस्ट काम्ट, जान ड्यूवी, हक्सले, एरिक फ्राम) अलौकिक को नकारते हैं एवं धर्म के प्रकृतिवादी पुनर्निर्माण का प्रयास करते हैं। उनके प्रयासों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए।
(1998)
Answer : अगस्त काम्टे, एरिक फ्राम, हक्सले एवं जान ड्यूवी मानवतावाद के समर्थक है। विज्ञान मार्क्सवाद तथा मनोविश्लेषणवाद के अतिरिक्त मानवतावाद ने भी उस सामान्य प्रचलित अर्थ में धर्म के विरूद्ध गंभीर चुनौती प्रस्तुत की है, जिसके अनुसार धर्म को ईश्वर अथवा किसी अन्य अतिप्राकृतिक शक्ति पर ही आधारित माना जाता है। परंतु मानवतावाद इस संसार में निवास करने वाले मनुष्य पर केंद्रित तथा उसी की सांसारिक समस्याओं से संबंधित मानवतावाद न तो किसी अलौकिक शक्ति के ....