Question : व्यक्ति न केवल एक घटक है, बल्कि वह राज्य के विकास में अंशदान करने वाला एक महत्वपूर्ण घटक है। स्पष्ट कीजिए और परीक्षा कीजिए।
(1994)
Answer : व्यक्ति और राज्य के बीच क्या संबंध होना चाहिए, यह राजनीति दर्शन का एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। एक ओर उदार व्यक्तिवादी विचारक, जिनके अनुसार राज्य में नागरिकों को अधिक से अधिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए, तो दूसरी ओर सर्वाधिकारवादी विचारक, जो व्यक्ति पर राज्य के पूर्ण नियंत्रण की वकालत करते हैं। राज्य एक सामाजिक संस्था है, इसलिए व्यक्ति और राज्य के बीच संबंध का प्रश्न व्यक्ति और समाज के बीच संबंध के व्यापक प्रश्न से जुड़ा ....
Question : राज्य सत्ता के आधिपत्य को स्वीकार करना उस कर्त्तव्य से असंगत है जिसके अनुसार स्वतंत्रता का अनुकरण करना मनुष्य जाति का परम कर्त्तव्य है।
(2007)
Answer : स्वतंत्रता शब्द का अर्थ बहुत व्यापक स्तर पर लिया जाता है। स्वतंत्रता का सारभूत अर्थ यह है कि विवेकशील कर्ता को जो कुछ सर्वोत्तम प्रतीत हो, वही कुछ करने में वह समर्थ हो और उसके कार्य कलाप बाहर के किसी प्रतिबंध से न बंधे हों। स्वतंत्रता का औपचारिक अर्थ प्रतिबंधों का अभाव है। परंतु कानून और प्रभुसत्ता हमारी गतिविधियों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाता है। क्या इस तरह की प्रभुसत्ता और उसका कानून हमारी स्वतंत्रता ....
Question : राज्य मूर्त स्वतंत्रता की वास्तविकता है।
(2005)
Answer : राज्य ऐसे समाज का द्योतक है जो एक निश्चित क्षेत्र में बसा हुआ है और राजनीतिक दृष्टि से संगठित हो, अर्थात जिसमें मूल्यों का अधिकारिक आवंटन करने वाली सत्ता विकसित कर ली गई हो। दूसरे अर्थ में, राज्य समाज की उस संस्था या सत्ता का द्योतक है, जो मूल्यों का अधिकारिक आवंटन करती है और व्यक्तियों तथा समूहों की मांगों और मतभेदों का समाधान करती है। जब हम व्यक्ति और राज्य के संबंध की बात ....
Question : राज्य और व्यक्ति की मांगें क्या वास्तव में टकराती हैं? विवेचन करें।
(2000)
Answer : राजनीतिक दर्शन में जिस प्रश्न पर सबसे अधिक विवाद है, वह प्रश्न व्यक्ति और राज्य के पारस्परिक संबंधों का है। कुछ विद्वानों की मान्यता है कि व्यक्ति का अस्तित्व समाज और राज्य पर आधारित है, अतः राज्य साध्य और व्यक्ति साधन है। कुछ विचारका का दृष्टिकोण यह है कि राज्य साध्य तो नहीं है, किंतु इतना महत्वपूर्ण अवश्य है कि उसकी तुलना एक व्यक्ति के महत्व से नहीं की जा सकती। इसके अतिरिक्त कुछ दार्शनिकों ....