Question : मानवतावाद क्या है? उसके विभिन्न प्रकार क्या हैं? एमएन राय का उग्र मानवतावाद मार्क्सवाद से किस प्रकार भिन्न है, चर्चा करें।
(2005)
Answer : मानवतावाद वह मत है जो मुनष्य तथा मुनष्य की महत्ता और उसे गुणों में अर्थात् मानवता में आस्था और विश्वास करता है। मानवतावाद जीवित मानवता से प्रेम है। मानवतावाद का केंद्र बिंदु मनुष्य है। यह मनुष्य के अस्तित्व, उसकी स्वतंत्रता तथा उसके कल्याण का पक्षपाती है। कालिस लेमाण्ट के अनुसार मानवतावाद, विश्वबंधुत्व, अंतरराष्ट्रीय मैत्री और मनुष्य के भातृत्व का समर्थक है। मानवतावाद की परिभाषा से स्पष्ट है कि मानव का स्थान ही सर्वोपरि है। मनुष्य ....
Question : सर्वधर्म समभाव पर महात्मा गांधी के विचार।
(2002)
Answer : यदि व्यावहारिक दृष्टि से सर्वधर्म समन्वय तथा सार्वभौम धर्म की स्थापना संभव नहीं है और इस संसार में बहुत से अलग-अलग धर्मों का बना रहना अनिवार्य है तो धर्म के नाम पर संघर्ष की समस्या के समाधान के लिए गांधीजी ने एक नया समाधान प्रस्तुत किया था, जिसके अनुसार हम अपने धर्म के साथ-साथ दूसरों के धर्मों का भी समान रूप से आदर करना सीखें। स्वयं अपने धर्म के प्रति श्रद्धा रखते हुए हम सच्चे ....
Question : धर्मविहीन राजनीति नितांत निंदनीय है जिससे हमेशा बचना चाहिए-महात्मा गांधी।
(2001)
Answer : गांधीजी की समस्त क्रियाओं का प्रधान प्रेरक तत्व धर्म था। उनका विश्वास था कि मानव जीवन का अंतिम ध्येय ईश्वर की प्राप्ति है और हमारी समस्त क्रियाएं प्रभुदर्शन के अंतिम उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही होनी चाहिए। गांधीजी ने मानव जीवन में धर्म को इतना प्रधान स्थान इसलिए दिया है, क्योंकि वह जीवन के लौकिक और धार्मिक पक्षों में कोई विभेद नहीं करते थे जैसा कि सामान्यतः किया जाता है, अतः उनके लिए धर्म ....
Question : भारत के संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता।
(2000)
Answer : धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र वह है, जिसमें शिक्षा, नैतिकता, कानून, राजनीति-आर्थिक व्यवस्था और सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन धर्म से पूर्णतः स्वतंत्र है अर्थात् ये सब धार्मिक विश्वासों तथा सिद्धांतों द्वारा शासित नहीं होते। यह सत्य है कि भारत का कोई राजकीय धर्म नहीं है और हमारा संविधान किसी विशेष धर्म को प्रश्रय देने तथा धर्म के आधार पर नागरिकों में भेदभाव करने का पूर्णतः निषेध करता है। इस दृष्टि से भारत में भी किसी विशेष धर्म को ....
Question : मानववाद की व्याख्या कीजिए तथा उत्कट (उग्र) मानववाद के मूलभूत लक्षणों का विवेचन कीजिए।
(1999)
Answer : मानवतावाद वह मत है जो मनुष्य तथा मनुष्य की महत्ता और उसके गुणों में अर्थात् मानवता में आस्था और विश्वास करता है। मानवतावाद जीवित मानवता से प्रेम है। मानवतावाद का केंद्रबिंदु मनुष्य है। यह मनुष्य के अस्तित्व, उसकी स्वतंत्रता तथा उसके कल्याण का पक्षपाती है। कालिस लेमाण्ट के अनुसार मानवतावाद, विश्वबंधुत्व, अंतरराष्ट्रीय मैत्री और मनुष्य के भ्रातृत्व का समर्थक है। मानवतावाद की परिभाषा से स्पष्ट है कि मानव का स्थान ही सर्वोपरि है। मनुष्य चाहे ....
Question : समाजवादी मानवतावाद।
(1998)
Answer : मानवतावाद वह मत है जो मनुष्य तथा मनुष्य की महत्ता और उसके गुणों में अर्थात मानवता में आस्था और विश्वास करता है। मानवतावाद जीवित मानवता से प्रेम है। मानवतावाद का केंद्र बिंदु मनुष्य है। यह मनुष्य के अस्तित्व, उसकी स्वतंत्रता तथा उसके कल्याण का पक्षपाती है। इस दृष्टिकोण से समाजवाद को भी मानवतावादी दर्शन के रूप में माना जाता है। समाजवादी मानवतावाद का उद्देश्य घोर अन्याय को दूर करना है, जो कि उस पूंजीवादी व्यवस्था ....