Question : ईश्वर अधिक शुभ को लाने के लिए अशुभ को जन्मने देता है, आदम का गिरना एक मंगलमय पाप था।
(2007)
Answer : ईश्वरवाद के समक्ष अशुभ की समस्या एक दुविधा के रूप में उत्पन्न होती है। ईश्वरवाद के संदर्भ में अशुभ की समस्या के दो पक्ष हैं:
ईश्वरवादी इस समस्या के इन दोनों पक्षों का कोई समुचित एवं संतोषप्रद समाधान करने में सफल नहीं हो पाते। बहुत से ईश्वरवादी इस समस्या का समाधान इस रूप में करते हैं कि ....
Question : बुराई की समस्या अपूर्ण संसार के ईश्वर की अच्छाई के साथ समाधान करने की समस्या है।
(2005)
Answer : प्राकृतिक विपत्तियों तथा मनुष्य के अपने दुर्गुणों से उत्पन्न शारीरिक एवं मानसिक दुःख तथा मानवीय दुराचरण के रूप में (अशुभ) बुराई का वास्तविक अस्तित्व है और वह इस संसार में सर्वत्र व्याप्त है। यह समस्या केवल उन्हीं व्यक्तियों के समक्ष उपस्थित होती है, जो ईश्वरवाद या एकेश्वरवाद में विश्वास करते हैं, अन्य व्यक्तियों के लिए यह उस रूप में उत्पन्न नहीं होती है, जिस रूप में ईश्वरवादियों के लिए होती है। बहुत से दार्शनिक तथा ....
Question : अशुभ की समस्या का वर्णन कीजिए। कुछ ईश्वरवादी इस समस्या के समाधान के लिए संकल्प स्वातंत्र्य तर्क का उपयोग करते हैं, कैसे? विवेचन करें।
(2004)
Answer : जब जगत की व्याख्या धार्मिक एवं नैतिक दृष्टिकोण से की जाती है, तब अशुभ की समस्या उभरकर सामने आती है। अशुभ का शाब्दिक अर्थ है- शुभ का अभाव। परंतु अशुभ केवल शुभ का अभाव मात्र नहीं है, बल्कि यह दुःखपूर्ण शारीरिक एवं मानसिक स्थिति को निर्दिष्ट करता है। नैतिक दृष्टिकोण से जो नहीं होना चाहिए, वह यदि हो तो वह अशुभ है। क्ड म्कूवतक के शब्दों में अशुभ परम मूल्यों का विरोधी है। सत्य, सुख, ....
Question : क्या हम अशुभ के साथ ईश्वर की हितकारिता एवं सर्वशक्तिमतता का सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं? चर्चा कीजिए।
(1997)
Answer : ईश्वरवादियों के मतानुसार ईश्वर असीम नित्य एवं सर्वज्ञ होने के साथ-साथ सर्वशक्तिमान तथा पूर्ण रूप से शुभ या अत्यंत दयालु है और वही समस्त प्राणियों सहित संपूर्ण जगत का रचयिता, पालनकर्ता एवं प्रशासक है। परंतु ईश्वरवादियों के इस सिद्धांत के विरूद्ध एक गंभीर चुनौती है। निम्नलिखित तीन कथनों पर विचार करने पर यह समस्या स्पष्ट होती हैः
(i) संसार में सर्वत्र दुःख और मानवीय दुराचरण के रूप में अशुभ का अस्तित्व है।
(ii) इस संसार का रचयिता ....