Question : दंड के फलात्मक एवं प्रतिरोधात्मक सिद्धांतों के बीच परस्पर तनाव का वर्णन कीजिए। इस संदर्भ में उस मत का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए, जिसका तर्क है कि चूंकि किसी भी प्रचलित अपराध निरोधक कानूनी व्यवस्था का समुचित औचित्य सिद्ध नहीं किया जा सकता, अतः राज्य सभा द्वारा संचालित दंड व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर देना चाहिए।
(2006)
Answer : दंड के प्रतिरोधात्मक सिद्धांत को निवर्तनवादी सिद्धांत भी कहा जाता है। निरोध या प्रतिरोध का अर्थ है रोकना। दंड के फलात्मक सिद्धांत का लक्ष्य जहां अपराधी को उसके द्वारा किये गये अनैतिक कार्य का फल प्रदान करना है, वहीं प्रतिरोधात्मक सिद्धांत के अनुसार अपराधी को दंड इसलिए दिया जाता है कि अन्य व्यक्तियों को उसी तरह का अपराध करने से रोका जाए।
मैकेंजी ने इसे बड़े आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया है। इसके अनुसार दंड का ....
Question : दंड की अवधारणा का विवेचन कीजिए। इस संदर्भ में दंड की आनुपातिकता के सिद्धांत के महत्व एवं निहितार्थ पर विचार कीजिए, जिसके अनुसार दंड की तीव्रता अपराध की गंभीरता के अनुपात में होनी चाहिए।
(2004)
Answer : सामाजिक मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों को संरक्षित करने के लिए सामाजिक दंड की अवधारणा का प्रतिपादन किया गया है, जो सामाजिक अंकुश का कार्य करती है। समाज द्वारा स्थापित मूल्यों एवं आदर्शों का जो व्यक्ति स्वेच्छा से उल्लंघन करता है, उसे दंड का भागी होना पड़ता है। उसी प्रकार नीति दर्शन के क्षेत्र में दंड का संबंध संकल्प की स्वतंत्रता और नैतिक उत्तरदायित्व से है, तब वह अनुचित, अनैतिक और असंगत कार्य करता है, तो ....
Question : दंड की प्रतीकारात्मक और निवारणात्मक थियोरियां परस्पर पूरक हैं।
(2003)
Answer : दंड के निवारणात्मक सिद्धांत को बदला लेने का सिद्धांत भी कहा जाता है। ओल्ड टेस्टामेंट में इसी सिद्धांत को आंख के लिए आंख और दांत के लिए दांत कहकर बतलाया गया है। यह सिद्धांत न्याय पर आधारित है। न्याय की मांग है जो जैसा करे उसे वैसा फल मिलना चाहिए। न्यायालय मनुष्य को केवल उसी का प्रतिदान देता है जो वह अर्जित कर चुका है। वह अशुभ, अनैतिक, असंगत कर्म कर चुका है, अतः यह ....
Question : दंड के निवारणात्मक सिद्धांत का कोई औचित्य नहीं है।
(2001)
Answer : दंड के निवारणात्मक सिद्धांत को बदला लेने का सिद्धांत भी कहा जाता है, ओल्ड टेस्टामेंट में इसी सिद्धांत को आंख के लिए आंख और दांत के लिए दांत कहकर बतलाया गया है। यह सिद्धांत न्याय पर आधारित है। न्याय की मांग है जो जैसा करे, उसे वैसा फल मिलना चाहिए। न्यायालय मनुष्य को केवल उसी का प्रतिदान देता है, जो वह अर्जित कर चुका है। वह अशुभ, अनैतिक, असंगत कर्म कर चुका है। अतः यह ....
Question : दंड का प्रतीकारात्मक सिद्धांत।
(2000)
Answer : इस सिद्धांत के अनुसार दंड का लक्ष्य है, अपराधी को उसके द्वारा किये गये अनैतिक कार्यों का फल प्रदान करना। इस सिद्धांत को प्रतिकारवाद कहते हैं। प्रतिकार का अर्थ होता है- बदला लेना। अतः इस िसद्धांत के अनुसार अपराधी उतना ही दंड का पात्र है अथवा उतना ही कष्ट पाने का अधिकारी है, जितना कष्ट दूसरों को दिया है। इस सिद्धांत में जैसे को तैसा का विचार निहित है अर्थात् यदि किसी व्यक्ति ने किसी ....
Question : दंड का सुधारात्मक सिद्धांत।
(1999)
Answer : दंड का सुधारात्मक सिद्धांत दूसरों को अपराध से रोकने के स्थान पर व्यक्ति के सुधार के लिए दंड का विधान करता है। यदि निरोधात्मक सिद्धांत व्यक्ति को साधन मानता है तो
सुधारात्मक सिद्धांत व्यक्ति को साध्य मानकर उसका सुधार करता है। इस सिद्धांत के विषय में मैकेन्जी का कथन है कि-इस सिद्धांत के अनुसार दंड का लक्ष्य है- स्वयं अपराधी को शिक्षा देना, उसे सुधारना। वर्तमान समय में यही दृष्टिकोण सबसे ज्यादा प्रचलित दिखाई देता है, ....