प्रारंभिक सह मुख्य परीक्षा विशेषांक IPS/PCS
नागरिक अधिकार
+ स्वतंत्रता का अधिकार
प्रत्येक राज्य का प्रथम लक्ष्य अपने नागरिकों का अधिकतम विकास करना होता है जो तभी पूरा हो पाता है जब सभी नागरिकों को वह कुछ सुविधाएं उपलब्ध करा सके। किसी राज्य में नागरिकता का मूल स्वरूप उस राज्य और समाज के साथ व्यक्ति के सामाजिक और राजनीतिक संबंधों के स्वरूप द्वारा निर्धारित होता है। व्यक्ति को अपने सामाजिक और राजनीतिक अधिकारों, कर्त्तव्यों और दायित्वों का बोध होता है और यही बोध उसे उस राज्य की नागरिकता का अहसास कराता है। भारतीय संविधान में नागरिक अधिकारों के महत्वपूर्ण एवं प्रत्यक्ष संदर्भ शामिल हैं, फिर चाहे वह राजनीतिक और नागरिक अर्थों में ....
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+ शोषण के विरूद्ध अधिकार
अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के खिलाफ जो अधिकार दिए गए हैं उनके अंतर्गत दो प्रावधान शामिल किए गए हैं। पहला है मानव शरीर का अवैध व्यापार और बेगार तथा दूसरा है कारखानों और खदानों जैसे खतरनाक कामों में 14 साल से कम आयु के बच्चों को काम पर लगाने पर रोक। बाल मजदूरी को संविधान की भावना और प्रावधानों का गंभीर उल्लंघन माना जाता है। भूमिपति द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले बेगार को अपराध घोषित कर दिया गया है और इसे अपनाने वाला कानून के अंतर्गत सजा का भागी है।हालांकि, सार्वजनिक उद्देश्यों से अनिवार्य सेवाओं के लिए ....
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+ नागरिकों के सशक्तिकरण के लिए अधिकार
सूचना का अधिकारलोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिये भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिये अनिवार्य है। अनुच्छेद 19 के अनुसार हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्त करने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जनता जब तक जानेगी नहीं तब तक अभिव्यक्त नहीं कर सकती। 2005 में देश की संसद ने एक कानून पारित किया जिसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के नाम से जाना जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान है कि ....
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300+ प्रश्नों का एक समग्र अध्ययन
+ पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण
1. पर्यावरण एक अविभाज्य समष्टि है तथा भौतिक, जैविक एवं सांस्कृतिक तत्वों वाले पारस्परिक क्रियाशील तंत्रों से इसकी रचना होती है। पर्यावरण की संरचना तथा प्रकार क्या है?
पर्यावरण की इस आधारभूत संरचना के आधार पर इसके दो प्रमुख प्रकारों में विभक्त किया जाता है-
1. भौतिक पर्यावरण
2. जैविक पर्यावरण
भौतिक पर्यावरण तीन प्रकार के होते हैं- स्थलमण्डल, वायुमण्डल तथा जलमण्डल। उदाहरण पर्वत, पठार, मैदान, हिमनद इत्यादि।
जैविक पर्यावरण की संरचना पौधों तथा मानव सहित जन्तुओं द्वारा होती है। इनमें मनुष्य एक महत्वपूर्ण कारक होता ....
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निजता का अधिकार
+ निजता की अंतरराष्ट्रीय अवधारणाएं
निजता का अर्थ, ‘किसी भी अनचाहे प्रचार अथवा अनचाहे हस्तक्षेप के बिना जीने का अधिकार है’। भारतीय संदर्भ में निजता का अधिकार किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत स्वायत्तता का बचाव करता है तथा उसे अपने जीवन के सभी निजी पहलुओं को नियंत्रित करने का अधिकार देता है। संविधान पीठ ने कहा है कि शारीरिक संबंध, व्यक्तिगत संबंध, पारिवारिक जीवन की मान्यता, शादी करना, बच्चे पैदा करना यह सब निजता के अधिकार हैं।
निजता की अंतरराष्ट्रीय अवधारणाएंमानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘किसी को भी एक व्यक्ति की निजता, परिवार या घर के साथ मनमाने ढंग से हस्तक्षेप करने ....
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+ निजता का अधिकार तथा भारतीय संविधान
अनुच्छेद 13 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि सरकार ऐसा कोई भी कानून नहीं बनाएगी जिससे एक व्यक्ति के किसी भी मूल अधिकार का उल्लंघन होता हो।अनुच्छेद 9 (1) (a) सभी व्यक्तियों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की आजादी देता है।निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और निजी स्वतंत्रता के अधिकार का मूलभूत हिस्सा है। यह संविधान के भाग-3 के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का हिस्सा है। अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसे अपने जीवन एवं शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा ....
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+ कार्यस्थल पर निजता का अधिकार
कानून नहीं है जो किसी नियोक्ता को अपने कर्मचारियों की निगरानी करने की अनुमति देता है।कॉल सेंटर तथा आईटी सक्षम उद्योगों में नियमित रूप से कार्यस्थल पर व्यापक वीडियो निगरानी, बॉयोमीट्रिक पहचान तंत्र का उपयोग और इंटरनेट द्वारा कर्मचारी के कार्य की निगरानी की जाती है।न्यायालय के पास अब तक कार्यस्थल पर निजता की निगरानी का मुद्दा नहीं उठाया गया है क्योंकि इस प्रकार के मुद्दे को उठाने के लिए कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है। भारत में कार्यस्थल पर नियोक्ता द्वारा कर्मचारी की सहमति के बिना एचआईवी/एड्स परीक्षण आयोजित करने या एचआईवी पॉजिटिव कर्मचारियों के खिलाफ भेदभाव करने के ....
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+ सरकारी डेटा साझा करण तथा निजता का अधिकार
दो सरकारी विभागों के बीच या सरकारी एवं निजी एजेंसियों के बीच डेटा साझा करने के संदर्भ में कोई स्पष्ट कानून नहीं है। उदाहरण के लिए बीमा कंपनियों तथा सरकार के विनियामक प्राधिकरण के बीच संगठित आंकड़े साझा किए जाते हैं। इसी प्रकार से ई-पासपोर्ट तथा ड्राइविंग लाइसेंस जैसे सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार निजी कंपनियों के साथ अनुबंध करती है। इन सेवाओं के संचालन के लिए बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत जानकारी साझा करनी होती है। आईटी (IT) एक्ट, 2000 में ऐसे डेटा के संरक्षण के लिए प्रावधान किए गए ....
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जनहित याचिका अधिकार
+ भारतीय परिप्रेक्ष्य में जनहित याचिका
जनहित याचिका का अर्थ सामान्य नागरिक के हितों की रक्षा के लिए कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना है। जनहित याचिका को दूसरे शब्दों में पीआईएल (Public Interest Litigation) भी कहते हैं। सरकार की किसी नीति से सामान्य नागरिकों के कानूनी अधिकार प्रभावित होने पर उच्चतम न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जा सकती है। मौलिक अधिकारों के हनन होने पर भी कोई व्यक्ति या संस्था के सीधे सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालयों में रीट याचिका दायर कर सकता है। जनहित याचिका की अवधारणा चीन जैसे सत्तावादी राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत नागरिकों के हितों के लिए सक्रिय वकीलों द्वारा ....
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+ जनहित याचिका किसके खिलाफ दायर की जा सकती है
संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत घोषित प्राधिकरण यदि सार्वजनिक हितों के प्रतिकूल कार्य करते हैं तो राज्य सरकार/केंद्र सरकार, नगर पालिका या किसी भी निजी पक्ष के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जा सकती है। सभी स्थानीय प्राधिकरण को जनहित याचिका में ‘उत्तरदायी’ के रूप में शामिल किया जा सकता है। जनहित याचिका एकल पक्ष के खिलाफ दायर नहीं की जा ....
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+ जनहित याचिका की सीमा
राज्यसभा में एक निजी सदस्य द्वारा ‘जनहित याचिका (विनियमन) विधेयक, 1996’ नामक बिल प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, यह बिल पारित नहीं किया जा सका लेकिन इस बिल में जनहित याचिका की सीमाओं के बारे में कहा गया कि समाज के गरीब वर्गों को न्याय प्रदान कराने के नाम पर जनहित याचिका का दुरुपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा यदि जनहित याचिका मामलों को अन्य मामलों पर प्राथमिकता दी जाएगी तो न्यायालय में कई सामान्य मामलों पर सुनवाई होने में वर्षों लग सकते हैं।कई बार जनहित याचिका के मामलों में केवल प्रतीकात्मक न्याय प्राप्त होता है। कार्यपालिका के सक्रिय ....
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सूचना का अधिकार
+ सूचना का अधिकार, वैश्विक दृष्टिकोण
एक उदार लोकतांत्रिक समाज के लिए धर्म विशेष मानने की आजादी, भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा सूचना प्राप्त करने की स्वतंत्रता होना आवश्यक है। भारत में सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 लागू होने से पहले सार्वजनिक कार्यों का विवरण आम नागरिक को देना सरकार/प्राधिकरण का विवेकाधीन अधिकार था।
सूचना के अधिकार को व्यापक रूप से दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता हैः
1. सरकार के कार्यों की सूचना का अधिकार
2. निजी व्यक्तियों के कार्यों की सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार, वैश्विक दृष्टिकोण
1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की रक्षा करने की सार्वभौमिक घोषणा करने के बाद पूरे विश्व में सरकार के कार्यों ....
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+ सूचना का अधिकार और भारतीय संविधान
भारत का संविधान स्पष्ट रूप से सूचना का अधिकार प्रदान नहीं करता है। हालांकि, देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कई केस में यह स्पष्ट किया है कि सूचना का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a) तथा अनुच्छेद 21 से संदर्भित है। ये दोनों अनुच्छेद क्रमशः भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से संबद्ध हैं। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि सूचना का अधिकार इन दोनों अनुच्छेद के उद्देश्य को पूरा करता है। अनुच्छेद 19 तथा अनुच्छेद 21 संविधान के भाग 3 के अंतर्गत आता है जो भारतीय संविधान के अंतर्गत ....
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+ सूचना के अधिकार के लिए वैधानिक प्रक्रिया
खाद्य एवं औषधि के मामले में सूचना का अधिकारखाद्य अपशिष्ट अधिनियम, 1954 की रोकथाम की धारा 23 तधू नियम 326 के अंतर्गत उपभोक्ताओं को यह अधिकार है कि वे जान सके कि खाद्य उत्पाद शाकाहारी हैं या नहीं मांसाहारी। दवाओं एवं सौंदर्य प्रसाधनों के संदर्भ में कानून में आवश्यक संशोधन नहीं किए गए हैं। ओजीर हुसैन बनाम भारत सरकार मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने यह निर्णय दिया कि उपभोक्ताओं को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (a), 21 तथा 25 के अंतर्गत खाद्य उत्पादों, सौंदर्य प्रसाधन एवं दवाओं की मांसाहारी या शाकाहारी प्रकृति जानने का मौलिक अधिकार ....
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+ सूचना प्रकाशित करने का कर्त्तव्य
सूचना अधिकार अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण के लिए विशेष रूप से 16 श्रेणियों में सूचना प्रकाशित करना आवश्यक है। इसके अंतर्गत संगठन के कार्य एवं कर्त्तव्यों के विवरण को शामिल किया गया है। उदाहरण के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्त्तव्यों; निर्णय लेने की प्रक्रिया का पालन करना; कार्यों के निर्वहन के लिए निर्धारित मानदंड; नियम, विनियम, दिशा निर्देश और कर्मचारियों के नियंत्रण में स्थित रिकॉर्ड आदि को इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट माध्यम से प्रकाशित किया जा सकता ....
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+ व्हिस्लब्लोअर का संरक्षण
यदि किसी संस्था में काम कर रहा कोई कर्मचारी संस्थागत भ्रष्टाचार के मामले को उजागर करता है या कोई बाहरी व्यक्ति भ्रष्टाचार के किसी मामले पर जानकारी चाहता है तो उसे व्हिस्लब्लोअर या मुखबिर के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सामान्यतः भ्रष्टाचार के ये मामले या सूचनाएं सार्वजनिक हित के लिए आवश्यक होती हैं। भ्रष्टाचार की सूचना के आधार पर में संलिप्त तत्वों पर कार्यवाई हो सकती है। एक आंकड़े के अनुसार अपराधिक तत्वों द्वारा 2005 से अब तक ऐसे लगभग 70 व्हिस्लब्लोअर या मुखबिर की हत्या कर दी गई ....
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प्रसारण अधिकार
+ प्रसारण संस्थानों के अधिकार
ब्रॉडकास्ट या प्रसारण का अर्थ वॉयरलेस साधनों जैसे बेतार द्वारा किसी भी संचार माध्यम द्वारा किसी सूचना या आंकड़ों का प्रसारण करना है। प्रसारण की परिभाषा स्पष्ट नहीं है तथा भारतीय कानून के अनुसार, संचार प्रणाली द्वारा किसी कार्यक्रम के प्रसारण करने को ब्रॉडकास्ट कहा जाता है। प्रसारण का अर्थ किसी संचार सामग्री के संकेतों, लेखन, चित्रों, छवियों एवं ध्वनियों का संग्रह एवं प्रोग्राम करना है। संचार सामग्री सूचनाओं को इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल डेटा के रूप में केबल या ट्रांसमीटर के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाता है। इन सूचनाओं को एकल या एकाधिक उपयोगकर्ता को सीधे या ....
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+ न्यायालय का निर्णय
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India - TRAI) ने 3 मार्च, 2017 को दूरसंचार ‘प्रसारण और केबल’ सेवाएं (आठवां एड्रेसेबल प्रणालियां) टैरिफ संशोधन आदेश, और उपभोक्ता संरक्षण नियम 2017 जारी किया था जो 3 जुलाई, 2018 से प्रभावी हुआ। इस आदेश को स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अदालत में चुनौती दी गई थी। स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग एवं अन्य के संदर्भ में 23 मई, 2018 को मद्रास उच्च न्यायालय ने विनियमन और टैरिफ आदेश की वैधता को बरकरार रखा था। इस स्थगन आदेश में निम्न 2 आदेश शामिल हैं-द टेलीकम्युनिकेशन (ब्रॉडकास्टिंग ....
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+ भारत में सूचना प्रसारण के मुद्दे
पेड न्यूजप्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया में किसी समाचार या विश्लेषण को प्रसारित करने के बदले नकद राशि या कोई लाभ लेने पर उस समाचार को पेड न्यूज माना जाता है।चुनावों के समय तथा आर्थिक लाभ लेने के लिए पेड न्यूज छपने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं तथा वित्तीय बाजारों के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं।पेड न्यूज पाठकों या दर्शकों को गलत खबर देता है और उनकी पसंद की आजादी को कम करता है। 2013 में सूचना प्रौद्योगिकी पर बनायी स्थायी संसदीय समिति ने मीडिया में फैल रहे पेड न्यूज ....
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+ प्रसारण नियंत्रण की नीतियां
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अपने उप प्राधिकरणों के माध्यम से प्रसारण को नियंत्रित करने का कार्य करता है। भारत में प्रसार भारती, प्रसारण और सेंसर बोर्ड चलचित्रों को नियंत्रित करता है।इसके अंतर्गत कई संगठन हैं जो क्षेत्रीय स्तरों पर प्रसारण मीडिया को नियंत्रित करते हैं। भारतीय प्रसारण संघ (IBF) के अंतर्गत ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कॉम्प्लेन्ट काउंसिल (BCCC) अनौपचारिक और बिना सेंसर वाले प्रसारण या ब्रॉडकास्टर को नियंत्रित करने का कार्य करती है।यदि इस प्राधिकरण को लोगों से टेलीविजन नेटवर्क पर बिना सेंसर किए गए कार्यक्रम प्रसारित करने की शिकायत मिलती है तो वह उन टीवी चैनलों को दंडित कर सकता है ....
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सोने का अधिकार
+ सोने का महत्व
सोना (Sleep) एक जैविक आवश्यकता है जिसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। नींद की स्थिति किसी व्यक्ति के प्रदर्शन एवं मनोदशा को प्रभावित कर सकती है। नींद की अवस्था में शरीर के परिष्कृत तंत्र, शरीर विज्ञान के लगभग हर पहलू की मरम्मत एवं रख-रखाव में शामिल होते हैं। इस प्रकार नींद किसी व्यक्ति को जीवन ऊर्जा प्रदान करती है।
सोने का महत्व
सोना, मानव के स्वस्थ अस्तित्व एवं कल्याण के लिए एक आवश्यक घटक है। शरीर विज्ञानियों के अनुसार नींद किसी व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक परेशानियों से उबरने में मदद करता है। नींद की कमी से चिड़चिड़ापन तथा ....
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+ सोने के मुद्दे
मौलिक अधिकार के रूप मेंफरवरी, 2012 में दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव धरना-प्रदर्शन कर रहे थे तथा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए रात 12 बजे के बाद दिल्ली पुलिस गई थी।पुलिस के जाने के बाद धरना स्थल पर सो रहे हजारों व्यक्तियों के बीच भगदड़ मच गई थी। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मामले के बारे में स्वतः संज्ञान लिया। 24 फरवरी, 2012 को जस्टिस बी.एस चौहान तथा स्वतंत्र कुमार की एक पीठ ने योग गुरु बाबा रामदेव तथा उनके समर्थकों पर पुलिस द्वारा मध्यरात्रि में क्रैकडाउन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह ....
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शिक्षा का अधिकार
+ भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति
भारतीय संविधान के अंतर्गत ‘शिक्षा’ एक आधारभूत मौलिक अधिकार है। केंद्र सरकार ने 86वें संविधान संशोधन के बाद 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा देने के उद्देश्य से 1 अप्रैल, 2010 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया था। सभी बच्चों को कम से कम माध्यमिक शिक्षा देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस अधिनियम का सर्वाधिक लाभ बाल मजदूर, प्रवासी बच्चे, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे तथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक, भाषाई अथवा लिंग कारकों की वजह से शिक्षा से वंचित बच्चों को मिलेगा।
भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति
मानव संसाधन ....
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+ शिक्षा का अधिकार अधिनियम
1950 में भारतीय संविधान में 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा देने के लिए ‘शिक्षा’ को अनुच्छेद 45 के अंतर्गत राज्यों के नीति निर्देशक सिद्धातों में शामिल किया गया था। 12 दिसंबर 2002 को संविधान में 86वें संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21A को संशोधित कर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया। 86वें संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षा का अधिकार विधेयक, 2005 प्रस्तावित किया गया और 1 अप्रैल, 2010 से शिक्षा का अधिकार (Right to education) अधिनियम पूर्ण रूप से लागू हुआ। इस अधिनियम के लागू होने से मध्य सत्र में स्कूल छोड़ने वाले ....
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+ शिक्षा के अधिकार के लिए विभिन्न पहल
प्राथमिक शिक्षाभारत में प्राथमिक शिक्षा 6 वर्ष की उम्र से दी जाती है। सरकार ने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य तथा मुफ्त कर दिया है। केंद्र एवं राज्य सरकारें इस प्राथमिक शिक्षा के औपचारिक एवं अनौपचारिक प्रावधानों का विस्तार करने के लिए प्रयासरत हैं, जिससे इस शिक्षा का सार्वभौमीकरण हो सके। मानव संसाधन व विकास मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत डिस्ट्रिक्ट इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (District information system for education) द्वारा जारी 2016-2017 के आंकड़ों के अनुसार, 2007-08 से लेकर 2012-13 तक कुल नामांकन में लगभग 146.68 लाख की वृद्धि दर्ज की गई थी। कुल नामांकन में से लड़कों की ....
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महिलाओं के संवैधानिक अधिकार
+ दंड प्रक्रिया संहिता में व्यवस्थाएं
हालांकि, भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार दिया गया है लेकिन आज भी महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी नहीं है। वैश्विक विकास के परिदृश्य में महिलाओं की निम्न आर्थिक स्थिति, पितृसत्तात्मक समाज, सामंती मूल्यों और जातिगत भेद-भाव के कारण महिलाएँ अपने संवैधानिक अधिकारों को वास्तविक रूप में प्राप्त नहीं कर पाई हैं। महिलाओं की सामाजिक स्थिति को देखते हुए संविधान में महिलाओं के प्रति सकारात्मक रूप से कई प्रावधान किए गए हैं। जहां पश्चिमी देशों की महिलाओं को अपने देश के संविधान में मौलिक अधिकार (जैसे वोट देने का अधिकार) पाने में एक ....
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+ उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार
आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम (2013)कोई भी पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकता, चाहे बताया जा रहा अपराध उनके पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र से बाहर ही क्यों न हो। अधिकारी एफआईआर दर्ज करने (इसे जीरो एफआईआर कहा जाता है) और उसे संबंधित पुलिस स्टेशन को भेजने के लिए बाध्य है।आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत, बलात्कार की शिकार महिला के मामले की जब सुनवाई की जा रही हो तो वह जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान रिकार्ड करा सकती है और उस समय किसी अन्य व्यक्ति के वहां उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। ....
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+ महिलाओं को रोजगार का अधिकार
समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976इस अधिनियम का कार्यान्वयन केन्द्र सरकार के प्राधिकरण द्वारा अथवा के अंतर्गत चलाए जा रहे किसी रोजगार अथवा रेल प्रशासन के संबंध में अथवा केन्द्र सरकार द्वारा अथवा के अंतर्गत स्थापित किसी बैंकिंग कंपनी, खान, आयल फील्ड अथवा प्रमुख बंदरगाह अथवा किसी निगम के संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है।किसी भी व्यक्ति समान प्रकृति के कार्य की भर्ती के दौरान पुरुष व महिला में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। पदोन्नति (प्रमोशन), अभ्यास (प्रशिक्षण) या स्थानांतरण में भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है। महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने ....
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+ सामाजिक अधिकार
हिंदू महिलाओं को संपत्ति का अधिकारहिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (संशोधित) 2005 के तहत बेटी को बेटों के बराबर कापर्सनेरी यानी सहदायिकी माना गया और जन्म से ही ऐसा माना गया अर्थात बेटी और बेटों को जन्म से ही पिता की संपत्ति व पुश्तैनी संपत्ति में बराबर का अधिकारी बना दिया गया।सहदायिक में सबसे बुजुर्ग सदस्य और परिवार की तीन पीढि़यां आती हैं। पहले इसमें उदाहरण के तौर पर बेटा, पिता, दादा और परदादा आते थे। लेकिन अब परिवार की महिला भी सहदायिक हो सकती है।2005 के इस संशोधन के बाद बेटी जन्म से ही पिता की संपत्ति और पुश्तैनी संपत्ति में ....
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+ राष्ट्रीय महिला नीति, 2016
राष्ट्रीय महिला अधिकारिता नीति, 2001 तैयार होने के बाद लगभग डेढ़ दशक बाद 17 मई, 2016 को सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय महिला नीति, 2016’ का प्रारूप जारी किया ....
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+ महिलाओं के लिए योजनाएं व कार्यक्रम
लिंग समानता और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुछ महत्वपूर्ण पहल की हैं। इनमें बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान, मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, पोषणों अभियान और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शामिल ....
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+ महिलाओं की सुरक्षा के लिए योजनाएं
वन स्टॉप सेंटर181 महिला हैल्पलाइन नम्बर के माध्यम से पूरे देश में हिंसा से प्रभावित महिलाओं को तत्काल और चौबीसों घंटे आपात सेवा प्रदान करती है। महिलाएं चिकित्सा आपात स्थिति में तथा विभिन्न प्रकार की सरकारी सेवाओं और स्कीमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भी हेल्पलाइन पर फोन कर सकती हैं। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तर पर संचालित मौजूदा हैल्पलाइनों अर्थात 1091/108 की अवसंरचना का प्रयोग करते हुए 181 नम्बर वाली महिला हेल्पलाइन को सर्वसुलभ बनाया जा रहा है। हैल्पलाइन से जुड़ी सभी मौजूदा सेवाओं, सरकारी सेवाओं, गैर-सरकारी संगठनों आदि को इस हेल्पलाइन से जोड़ दिया गया है।अब ....
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+ महिला सशक्तिकरण के लिए योजनाएं
महिला समाख्या योजना
शिक्षा प्रणाली में महिलाओं को शामिल करने की दिशा में काम करने लिए 1988 में महिला समाख्या कार्यक्रम शुरू किया गया। यह संघों-ग्राम स्तरीय महिला समूहों के माध्यम से काम करता है। पिछले कुछ वर्षों में इन संघों ने शिक्षा एवं विकास से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए महिलाओं, स्वाभाविक रूप से गरीब एवं सीमांत समूहों वर्गों की महिलाओं के लिए सामुहिक शक्ति प्रदान की है।
महिलाओं को प्रेरित एवं संगठित करने की प्रक्रिया सहयोगिनी द्वारा संचालित की जाती है जो 10 गांवों की देखरेख करती है । सरकारी सेवाओं तक पहुंच, महिला स्वास्थ्य, महिलाओं के विरूद्ध ....
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बच्चों के संवैधानिक अधिकार
+ अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956
भारत में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। करीब 10 करोड़ बच्चों को अब तक स्कूल जाना नसीब नहीं है। इसके साथ ही सामाजिक और नैतिक समर्थन के अभाव में स्कूली बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। सेव द चिल्ड्रेन (Save the Children) नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था की ओर से 2016 में विश्व के ऐसे देशों की एक सूची जारी की गई है जहां बचपन सबसे ज्यादा खतरे में है। भारत इस सूची में पड़ोसी देशों म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और मालदीव से भी पीछे 116वें स्थान पर है। ....
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+ बालकों के लिए योजनाएं व कार्यक्रम
मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजनाअतिरिक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराकर संकटग्रस्त और गंभीर कुपोषित बच्चों को कुपोषण के चक्र से बाहर लाने तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ में 6 जून, 2009 से मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना संचालित की जा रही है। इसके अंतर्गत गंभीर कुपोषित बच्चों को संदर्भित कर बेहतर स्वास्थ्य सेवा एवं दवाईयां उपलब्ध कराकर उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर पर सुधार लाया जाता है।इस योजना अंतर्गत पोषण पुर्नवास केंद्रों में कुपोषित बच्चों को लाभान्वित कर उनके बेहतर पोषण एवं स्वास्थ्य की व्यवस्था के अतिरिक्त स्वास्थ्य जांच के शिविरों का आयोजन कर बच्चों को लाभान्वित ....
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+ बाल अधिकार संरक्षण आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी। आयोग की स्थापना बच्चों को दिए गए अधिकारों जैसे समानता, 6 से 14 साल की उम्र तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, बाल मजदूरी पर रोक आदि की निगरानी के लिए हुई थी। बच्चों की शिक्षा, बाल विकास, हाशिए पर पड़े बच्चों, बाल श्रम उन्मूलन, बाल मनोविज्ञान और बच्चों से जुड़े अन्य कानूनों से जुड़े मामलों पर काम करता है। अक्टूबर, 2018 में केंद्र सरकार ने प्रियंक कानूनगो को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण ....
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वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार
+ संवैधानिक अधिकार
भारतीय संविधान के अनुसार, ‘वरिष्ठ नागरिक’ का अर्थ 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले नागरिक से है। जनगणना 2011 के अनुसार भारत में लगभग 104 मिलियन बुजुर्ग (60 वर्ष या उससे अधिक आयु के) हैं। इसमें से 53 मिलियन महिलाएं और 51 मिलियन पुरुष हैं। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड और हेल्पएज इंडिया द्वारा जून 2017 में जारी ‘Caring for our elders: Early Responses India Ageing Report 2017’ नामक रिपोर्ट के अनुसार बुजुर्गों की संख्या 2026 तक बढ़कर 173 मिलियन होने की उम्मीद है। 1961 की जनगणना में कुल जनसंख्या में वरिष्ठ नागरिकों का अनुपात 5.6% था जो 2011 की ....
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+ योजनाएं व कार्यक्रम
वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रमसामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 1992 से वृद्ध व्यक्तियों के लिए एकीकृत कार्यक्रम (Integrated Programme for Older Persons) नामक केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित योजना का संचालन कर रहा है। मौजूदा परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता के लागत मानदंडों को संशोधित करने के अलावा योजना को अप्रैल 2008 तथा अप्रैल 2015 से संशोधित किया गया ....
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+ वरिष्ठ नागरिकों पर राष्ट्रीय नीति 2011
वृद्ध व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय नीति की घोषणा भारत सरकार ने वर्ष 1999 में की थी। सामाजिक न्याय मंत्रालय की एक एकीकृत योजना के माध्यम से वृद्ध व्यक्तियों की पेंशन, यात्रा रियायतें, आयकर राहत, चिकित्सा लाभ, बचत पर अतिरिक्त ब्याज, सुरक्षा और सशक्तिकरण के साथ-साथ वृद्धाश्रम, डे केयर सेंटर, मेडिकल वैन, हेल्प लाइन आदि के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी।
नई नीति का उद्देश्य
देश में वरिष्ठ नागरिकों विशेष रूप से वृद्ध महिलाएं के कल्याण के लिए सरकारों द्वारा पहले से ही निर्धारित तंत्रों को लागू करना तथा उसके संचालन के लिए नागरिक समाज एवं वरिष्ठ नागरिक संघों का सहयोग ....
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ट्रांसजेंडर अधिकार
+ ट्रांसजेंडर व्यक्ति की परिभाषा
सामान्यतः ‘ट्रांसजेंडर’ से आशय ऐसे व्यक्ति से है जिसकी लैंगिक पहचान उसके शारीरिक पहचान से अलग होती है और उनकी शारीरिक बनावट सामान्य पुरुष एवं महिला से भिन्न होती है। भारत के अलग-अलग भागों में ट्रांसजेंडर को हिजड़ा, किन्नर, कोठी तथा अरावनी नामों से जाना जाता है।
ट्रांसजेंडर व्यक्ति की परिभाषा
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकार संरक्षण) विधेयक पर गठित संसदीय समिति ने जुलाई, 2017 में विधेयक की मूल परिभाषा में परिवर्तन करने का प्रस्ताव दिया था जिसे सरकार ने मान लिया।अगस्त, 2018 में संसोधित विधेयक लागू किया गया है और इस विधेयक के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति का अर्थ उस व्यक्ति से है जो ....
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+ ट्रांसजेंडर के लिए संवैधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 14: राज्य किसी भी नागरिक को कानूनी उपचार या भारतीय सीमा में सुरक्षा देने से इन्कार नहीं करेगा।अनुच्छेद 15: राज्य किसी भी नागरिक के खिलाफ केवल धर्म, जाति, जाति, लिंग, जन्म स्थान या उनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।अनुच्छेद 21: कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को निजता एवं व्यक्तिगत गरिमा का अधिकार सुनिश्चित करता ....
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+ ट्रांसजेंडर अधिकारों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) ने ट्रांसजेंडर के मुद्दे को न्यायिक मुख्यधारा में लाने का काम किया है। नालसा (NALSA) ने ट्रांसजेंडर की समस्याओं के समाधान के लिए 2014 में जनहित याचिका (पीआईएल) दर्ज किया था जो विशेष रूप से ट्रांसजेंडर व्यक्ति के अधिकार संबंधित था। नालसा ने अपनी याचिका में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार दिया गया इसलिए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। 15 अप्रैल, 2014 को नालसा बनाम भारत सरकार के केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह ....
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अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक प्रावधान
+ अल्पसंख्यक समुदाय के लिए केंद्र सरकार की नीतियां व प्रावधान
‘अल्पसंख्यक’ से अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों के समूह से है जो किसी भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले बड़े समूह से मूल रूप से या राजनीतिक रूप से भिन्न हैं। अल्पसंख्यक समूह, धर्म, भाषा, नस्ल, जाति या अन्य किसी सामाजिक पहचान के आधार पर ‘बहुसंख्यक’ समूह से भिन्न हो सकते हैं। 18 दिसंबर, 1992 को संयुक्त राष्ट्र आम सभा में ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रणाली’ के अंतर्गत ‘अल्पसंख्यक’ शब्द का उपयोग राष्ट्रीय या जातीय, धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों के संदर्भ में किया गया था। भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक या अल्पसंख्यकों शब्द का उपयोग अनुच्छेद 29 से 30 तथा 350A से 350 B तक ....
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+ अल्पसंख्यकों के विकास के लिए योजनाएं
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगमः राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (NMDFC) का गठन सामाजिक न्याय एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 30 सितंबर, 1994 को कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के अंतर्गत किया गया था।
इस वित्त निगम का मुख्य उद्देश्य गरीब अल्पसंख्यक वर्ग के आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। NMDFC अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए 2005 से अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। NMDFC, अल्पसंख्यकों के बीच ‘पिछड़ा वर्ग’ के आर्थिक लाभ एवं विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है तथा इसमें व्यावसायिक समूहों एवं महिलाओं को प्राथमिकता दी ....
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+ अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री न्यू 15 प्वाइंट प्रोग्राम
अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री न्यू 15 प्वाइंट प्रोग्राम की घोषणा माननीय राष्ट्रपति द्वारा संसद में फरवरी, 2005 में हुई थी। इस प्रोग्राम द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के मेधावी छात्रों के लिए पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना लागू की गयी है। अल्पसंख्यक अधिनियम, 1992 की धारा 2 (ब) के अंतर्गत मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध तथा जोराष्ट्रियन (पारसी) को अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में अधिसूचित किया गया है। राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में अल्पसंख्यकों के बीच छात्रवृत्ति का वितरण जनगणना 2001 में उनकी जनसंख्या के आधार पर किया जाता है। प्रधान मंत्री न्यू 15 प्वाइंट प्रोग्राम निम्नानुसार हैं:एकीकृत बाल विकास सेवाओं की न्यायसंगत उपलब्धताः ....
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+ केंद्र सरकार द्वारा स्थापित आयोग
भारत सरकार द्वारा आजादी के बाद अल्पसंख्यकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए 1980 में ‘गोपाल सिंह उच्च समिति’ के रूप में पहली प्रमुख समिति की स्थापना की गई थी। पिछले एक दशक में भारत सरकार ने भारत में अल्पसंख्यकों के आर्थिक विकास की स्थिति जानने के लिए क्रमशः ‘रंगनाथ मिश्रा आयोग’ तथा ‘राजिंदर सच्चर समिति’ की स्थापना की है।धार्मिक एवं भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोगः भारत में धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान के मानदंडों का सुझाव देने के लिए 29 अक्टूबर, 2004 को भारत सरकार ने भारत के ....
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अनुसूचित जाति के संवैधानिक अधिकार
+ अधिकारों की आवश्यकता
देश में अनुसूचित जाति की कुल आबादी 25 करोड़ 9 लाख 61 हजार 940 है। 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल आबादी में अनुसूचित जाति की भागीदारी 24.4 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति की आधी आबादी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तमिलनाडु में रहती हैं। देश के 148 जिलों में इनकी आबादी 49.9 प्रतिशत तक है, वहीं 271 जिलों में इनकी आबादी 19.9 प्रतिशत है।
अधिकारों की आवश्यकता
भारतीय समाज में अनुसूचित जाति को अत्यंत पिछड़े समुदाय के रूप में चिह्नित किया गया है। इसमें वे सभी जाति या वर्ग या जनजातियां शामिल हैं जिन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद ....
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+ आर्थिक प्रगति के लिए योजनाएं
अनुसूचित जाति के लिए उद्यम पूंजी फंडभारत में अनुसूचित जाति के उद्यमियों के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में 200 करोड़ रुपये की पूंजी से अनुसूचित जाति उद्यम पूंजी फंड (Scheduled Castes Venture Capital Fund) की स्थापना की थी। इस निधि का उद्देश्य उन उद्यमियों की मदद करना है जो समाज के लिए कार्य करेंगे और साथ ही लाभदायक व्यवसाय को बढ़ावा देंगे। अधिकांश उद्यमियों को इस योजना के बारे में जानकारी नहीं है। 2015-18 की अवधि के दौरान, अनुसूचित जाति उद्यमियों के स्वामित्व वाली ....
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+ शिक्षा में अधिकार
अनुसूचित जाति के 9 एवं 10 के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति
9 एवं 10 की कक्षा में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना चलायी जाती है और इसे राज्य सरकार तथा केन्द्र शासित प्रदेश द्वारा लागू किया जाता है। इस योजना के निम्नलिखिति उद्देश्य हैं:
नौवीं तथा दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के बच्चों को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए वित्तीय सहायता देना ताकि प्राथमिक कक्षा से माध्यमिक स्तर की कक्षा में जाने वाले छात्र आर्थिक समस्याओं के कारण बीच में ही पढ़ाई न छोड़ दें।
प्री-मैट्रिक चरण की कक्षा 9 एवं 10 में ....
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अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकार
+ अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत भारत के विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 500 से अधिक जनजातियाँ (एक से अधिक राज्यों में कई अतिव्यापी समुदायों के साथ) अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित हैं। जनजाति समुदायों की सबसे बड़ी संख्या ओडिशा में है जबकि आदिवासी आबादी का मुख्य संकेंद्रण मध्य भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में है।
अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकार
शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक सुरक्षा
अनुच्छेद 15(4): अन्य
शामिल हैं) के हितों का संरक्षण
अनुच्छेद 46: राज्य, जनता के दुर्बल वर्गों के, विशिष्टतया, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और अर्थ संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा ....
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+ अनुसूचित जनजाति की चुनौतियां
भारत के संविधान में अनुसूचित जाति व जनजाति (ST) का दर्जा प्राप्त करने वाले समुदायों को कुछ संरक्षण प्रदान किये जाते हैं, लेकिन यह बात हमेशा ही विवादग्रस्त रही है कि किन समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान किया जाए।अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने का अर्थ है कि इन समुदायों को राजनैतिक प्रतिनिधित्व के रूप में, स्कूलों में आरक्षित सीटों के रूप में और सरकारी नौकरियों के रूप में वांछित ठोस लाभ प्राप्त होना। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा 2010 में जारी तीसरे वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में सामाजिक और राजनैतिक लामबंदी के कारण अनुसूचित जनजातियों ....
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+ अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षा में अधिकार
अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्तिइस योजना में व्यावसायिक, गैर-व्यवसायिक, तकनीकी, गैर-तकनीकी पाठयक्रमों के साथ ही दूरस्थ स्वं सतत शिक्षा पत्रचार पाठयक्रम भी शामिल है, इस योजना की शुरुआत 1944-45 के दौरान हुई और इसे समय-समय पर संशोधित किया गया। इस योजना का आखिरी संशोधन 01-07-2010 को हुआ ....
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+ सामाजिक-आर्थिक विकास
जनजातीय उप-योजना
वर्तमान जनजातीय उप-योजना (Tribal Sub-Plan) रणनीति, 1972 में शिक्षा एवं समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रो एससी दुबे की अध्यक्षता में स्थापित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा बनाई गई थी। इस योजना को जनजातीय समुदाय के बीच तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पहली बार पांचवीं पंचवर्षीय योजना में अपनाया गया था। जनजातीय उप-योजना को राज्य नीति द्वारा, विशेष केंद्रीय सहायता (Special Central Assistance) के अंतर्गत विशेष क्षेत्र कार्यक्रम द्वारा तथा संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत दूसरे मंत्रालयों द्वारा फंड जारी किया जाता है। इसके अलावा अलग-अलग वित्तीय संस्थानों एवं केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के क्षेत्रीय कार्यक्रम द्वारा जनजातीय उप-योजना को ....
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अन्य पिछड़ा वर्ग
+ शिक्षा में अधिकार
भारत जैसे विषम आर्थिक विविधता वाले देश में समाज के सम्यक विकास के लिए यह आवश्यक है कि शिक्षा और संसाधन तक सभी की समान पहुंच हो। 1980 के मंडल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, देश की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 52% है।
संविधान में पिछड़ा वर्ग शब्द का वर्णन नहीं है। यह केंद्र एवं राज्य सरकार पर निर्भर है कि वे इस समूह से संबंधित वर्ग को चिह्नित करें। हालांकि, यह माना जाता है कि सरकार की सेवाओं में पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करने वाले वर्गों को पिछड़ा वर्ग कहा जा सकता है। राष्ट्रपति, अनुच्छेद 340 ....
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+ आर्थिक विकास की योजनाएं
एनबीसीएफडीसी (NBCFDC) की उद्यमी योजनाएं: पिछड़े वर्गों के सदस्य जिनकी वार्षिक आय गरीबी रेखा (यानी ग्रामीण क्षेत्रों में 1,1,000 रु. और शहरी क्षेत्रों में 1,3,000 रु. से दोगुनी है वे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (National Backward Classes Finance - Development Corporation) से ऋण प्राप्त करने के पात्र ....
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+ अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग
भारत के उच्चतम न्यायालय ने अपने नवंबर 1992 में इंद्रा साहनी आदि बनाम भारत संघ और अन्य में दाखिल रिट याचिका (सिविल) संख्या 930 में द्वारा भारत सरकार, राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासनों को निर्देशित किया कि आयोग या अधिकरण (ट्रिब्यूनल) के रूप में ऐसे स्थायी निकाय का गठन करें, जो अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल करने के लिए अनुरोधों एवं किसी पिछड़े वर्ग के अधिक सम्मिलित किए जाने या कम सम्मिलित किए जाने की शिकायतों को सुनेगा, जांच करेगा और राय देगा। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के अुनसार केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग ....
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हल प्रश्न पत्र
प्रारंभिक परीक्षा
भारतीय अर्थव्यवस्थाकुल सवाल: 22
1. आदेश मुद्रा (Fiat Money) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आदेश द्वारा जारी की जाती है।
- इसमें सभी नोट तथा सिक्के सम्मिलित होते हैं जिसे लोग एक देश में कानूनी तौर पर विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार करने के लिए बाध्य होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही हैं/हैं?
कला-संस्कृति व इतिहासकुल सवाल: 23
23. धौलावीरा (सिंधु घाटी सभ्यता स्थल) के संबंध में निम्न कथनों का परीक्षण करें-
- धौलावीरा गुजरात के कच्छ के रन में अवस्थित है।
- यह नगर त्रिभुजाकार बना था।
- इस नगर को तीनों भागों- किला, मध्य नगर तथा निचले नगर में विभाजित किया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही हैं/हैं?
भूगोलकुल सवाल: 15
46. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- पार्थिव ग्रह जनक तारे के बहुत समीप बने जहां अत्यधिक तापमान के कारण गैसें संघनित हो पाई और घनीभूत भी हो सकी।
- पार्थिव ग्रह के छोटे होने से इनकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति भी कम रही जिसके परिणामस्वरूप इनसे निकली हुई गैस इन पर रुकी नहीं रह सकी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही हैं/हैं?
भारत का संविधान एवं राजव्यवस्थाकुल सवाल: 17
61. निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करता है?
- लोक सभा के सदस्य
- राज्य सभा के सदस्य
- विधान सभाओं के सदस्य
- विधान परिषदों के सदस्य
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकीकुल सवाल: 14
78. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें-
- सौर स्पैक्ट्रम, प्रकाश एवं लंबी सूक्ष्म तरंग विकिरण से परिपूर्ण रहता है।
- सूक्ष्म तरंग विकिरण में कॉस्मिक किरणें, एक्स किरणें तथा पराबैंगनी किरणें पाई जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही हैं/हैं?
पारिस्थितिकी-पर्यावरणकुल सवाल: 18
92. निम्नलिखित में से कौन सा अवसादी प्रकार के पोषक चक्र को दर्शाता है?
समसामयिकीकुल सवाल: 41
110. हाल ही में, निजी कंपनियों को तेल और ओएनजीसी क्षेत्रों की बिक्री की देख-रेख करने के लिए कौन सी समिति बनाई गई?