​ब्रिटिश प्रस्तावों और सुधारों का प्रभाव

1757 के बाद, जब ईस्ट इंडिया कम्पनी (EIC) एक व्यावसायिक संस्था से भौगोलिक सत्ता में परिवर्तित हुई, तब भारत में ब्रिटिश शासन कई महत्वपूर्ण संसदीय अधिनियमों, प्रशासनिक सुधारों और राजनीतिक प्रस्तावों के माध्यम से आकार लेने लगा। इन सुधारों का उद्देश्य प्रारंभ में कम्पनी के शासन को विनियमित करना था, फिर उसे केंद्रीकृत करना, और अंततः भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलनों के दबाव में आंशिक संवैधानिक रियायतें देना था।

  • इन प्रस्तावों और सुधारों ने ब्रिटिश भारत के संस्थागत और कानूनी ढांचे की नींव रखी और 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 20वीं शताब्दी की शुरुआत तक न केवल औपनिवेशिक शासन को आकार दिया, बल्कि ....
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