​प्राचीन भारत में स्थानीय सभाओं (सभाओं, समितियों) की भूमिका

प्राचीन भारत में सभा और समिति जैसी स्थानीय सभाएँ शासन की अत्यंत महत्त्वपूर्ण संस्थाएँ थीं, विशेष रूप से वैदिक काल में। जहाँ सभा बुज़ुर्गों और विद्वानों की एक विशिष्ट परिषद् थी, वहीं समिति व्यापक जन-सभा थी, जो समुदाय की सामूहिक आवाज़ का प्रतिनिधित्व करती थी। इन संस्थाओं ने न केवल राजा के अधिकारों पर नियंत्रण रखा, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जीवन का अभिन्न अंग बनकर शासन में जन-भागीदारी का स्वरूप भी गढ़ा। यद्यपि आगे चलकर केंद्रीकृत राज्यों के उदय के साथ इन सभाओं का प्रभाव घट गया, फिर भी इनकी परम्परा ने भारत की स्थानीय स्वशासन प्रणालियों को गहराई से ....

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