अम्बेडकर का राजनीतिक दृष्टिकोण और संविधान निर्माण में उनकी भूमिका
डॉ. भीमराव अम्बेडकर (1891–1956) एक न्यायशास्त्री, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे। उनका जीवन का उद्देश्य जातिवाद का उन्मूलन, पिछड़े वर्गों के लिए नागरिक और राजनीतिक अधिकार सुनिश्चित करना, और एक समावेशी लोकतांत्रिक राष्ट्र का निर्माण था। उन्होंने गहन अध्ययन, जनसंगठन और संस्थागत निर्माण के माध्यम से भारतीय समाज और राज्य नीति दोनों में परिवर्तन लाने का प्रयास किया।
संस्था-निर्माण और जन-आंदोलन
- 1924 में, अम्बेडकर ने बहिष्कृत हितकारिणी सभा की स्थापना की, जिससे दलितों में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता बढ़ाने और उनकी समस्याओं को उजागर करने का प्रयास किया गया।
- उन्होंने मंदिर प्रवेश और सार्वजनिक जल स्रोतों में जातिगत ....
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संबंधित सामग्री
- 1 ब्रिटिश न्यायिक सुधार और उच्च न्यायालयों की स्थापना
- 2 सल्तनत एवं मुगल कालीन न्यायिक संरचना
- 3 ब्रिटिश कालीन पुलिस प्रणाली
- 4 मुगलकालीन पुलिस व्यवस्था एवं गुप्तचर प्रणालियाँ
- 5 सल्तनत काल में फ़ौजदारी व्यवस्था
- 6 मौर्य और गुप्त काल में कानून व्यवस्था
- 7 पंचायती राज व्यवस्था का संवैधानिकीकरण (73वां और 74वां संशोधन)
- 8 ब्रिटिश शासन के दौरान स्थानीय शासन व्यवस्था (पंचायती राज प्रणाली का उद्भव)
- 9 मुगल साम्राज्य के अधीन स्थानीय प्रशासन
- 10 प्राचीन भारत में स्थानीय सभाओं (सभाओं, समितियों) की भूमिका

- 1 प्रारंभिक वैदिक काल में जनजातीय राजनीतिक संगठन
- 2 महाजनपदों में राजसत्ता का उदय
- 3 मौर्य साम्राज्य में केंद्रीकृत राजतंत्र
- 4 मौर्य शासक: चंद्रगुप्त एवं अशोक
- 5 गुप्त काल में विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था
- 6 गुप्त शासक: चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और विक्रमादित्य
- 7 प्रारंभिक मध्यकालीन भारत में सामंती शासन-व्यवस्था
- 8 दिल्ली सल्तनत: राजनीतिक व्यवस्था और शासन
- 9 दिल्ली सल्तनत: राजवंश एवं शासक
- 10 मुग़ल शासन व्यवस्था एवं प्रशासनिक तंत्र
- 11 मुगल सम्राट
- 12 भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य का गठन
- 13 कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’ : एक राजनैतिक चिंतन
- 14 अशोक की शासन व्यवस्था एवं धम्म नीति
- 15 अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और राजनीतिक रणनीति
- 16 गांधीवादी विचारधारा
- 17 प्राचीन भारत में गण-संघ एवं प्रजातान्त्रिक व्यवस्थाएँ
- 18 महाजनपदों की राजनीतिक संरचना
- 19 दक्षिण भारतीय राजवंश
- 20 1857 का विद्रोह: कारण एवं प्रभाव
- 21 बंगाल विभाजन (1905)
- 22 कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन
- 23 साइमन कमीशन
- 24 गांधी-इरविन समझौता
- 25 क्रिप्स मिशन
- 26 प्रारंभिक राष्ट्रवादी चरण: नरमपंथी बनाम गरमपंथी
- 27 असहयोग आंदोलन
- 28 सविनय अवज्ञा आंदोलन
- 29 भारत छोड़ो आंदोलन
- 30 भारत में क्रांतिकारी आंदोलन
- 31 स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका
- 32 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का गठन
- 33 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख अधिवेशन
- 34 मुस्लिम लीग और इसका राजनीतिक विकास
- 35 भारत में साम्यवादी और समाजवादी आंदोलन
- 36 व्यपगत सिद्धांत एवं विलय नीति
- 37 सहायक संधि प्रणाली एवं ब्रिटिश राजनैतिक नियंत्रण
- 38 ब्रिटिश प्रस्तावों और सुधारों का प्रभाव
- 39 राजनीतिक विकास में वायसराय एवं गवर्नर जनरल की भूमिका
- 40 रियासतों के साथ राजनीतिक वार्ता की भूमिका
- 41 भारतीय संघ का गठन एवं राज्यों का पुनर्गठन
- 42 प्रारंभिक गणराज्य में राजनीतिक चुनौतियाँ और समाधान
- 43 महाजनपद युग: प्रारंभिक राज्य प्रशासन का उद्भव
- 44 मौर्य साम्राज्य की केंद्रीकृत नौकरशाही
- 45 गुप्त काल: विकेन्द्रीकृत प्रशासन और स्थानीय इकाइयों की भूमिका
- 46 प्रारंभिक मध्यकालीन सामंती प्रशासन
- 47 दिल्ली सल्तनत का प्रशासनिक तंत्र
- 48 मुग़ल प्रशासनिक तंत्र
- 49 स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय नौकरशाही संरचना
- 50 शासन उपकरण के रूप में अशोक के शिलालेख
- 51 अशोक के प्रमुख शिलालेख: प्रशासनिक और कल्याण नीतियाँ
- 52 प्राचीन भारत में प्रशासनिक अभिलेख
- 53 मौर्य और गुप्त काल में मुहर एवं लिखित अभिलेखों का प्रयोग
- 54 मुगल प्रशासनिक अभिलेख एवं दस्तावेज़ प्रणाली
- 55 औपनिवेशिक काल में अभिलेख-रखाव एवं आधुनिक नौकरशाही प्रणाली की शुरुआत
- 56 प्राचीन भारत में भू-राजस्व की प्रारम्भिक प्रथाएँ
- 57 मौर्य राजस्व प्रणाली
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- 59 विजयनगर साम्राज्य की राजस्व-व्यवस्था
- 60 सल्तनत काल की कर-व्यवस्था
- 61 मुग़ल काल की भू-राजस्व प्रणाली
- 62 राजस्व एवं नीति-संप्रेषण के उपकरण के रूप में अशोक के अभिलेख
- 63 ब्रिटिश कालीन राजस्व प्रणालियाँ
- 64 स्वतंत्रता -उपरांत भूमि सुधार
- 65 प्राचीन और मध्यकालीन भारत में ग्राम पंचायत प्रणाली
- 66 प्राचीन भारत में स्थानीय सभाओं (सभाओं, समितियों) की भूमिका
- 67 मुगल साम्राज्य के अधीन स्थानीय प्रशासन
- 68 ब्रिटिश शासन के दौरान स्थानीय शासन व्यवस्था (पंचायती राज प्रणाली का उद्भव)
- 69 पंचायती राज व्यवस्था का संवैधानिकीकरण (73वां और 74वां संशोधन)
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