​मौर्य राजस्व प्रणाली

मौर्य राजस्व प्रणाली, जैसा कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में विस्तृत है, एक अत्यंत सुव्यवस्थित और केंद्रीकृत प्रशासनिक ढांचा था, जिसका उद्देश्य राज्य के लिए अधिकतम आय सुनिश्चित करना था। यह विविध कराधान आधार, वित्तीय नियंत्रण के सिद्धांत और एक सशक्त प्रशासनिक यंत्रणा पर आधारित था।

राजस्व के स्रोत

  1. भूमि कर (भाग): प्रमुख स्रोत; उपज का 1/6 से 1/4 हिस्सा, भूमि की उर्वरता व सिंचाई पर निर्भर।
  2. राजकीय भूमि (सीता): राज्य की स्वामित्व वाली भूमि से आय; श्रमिक या कृषि निरीक्षक (सीताध्यक्ष) के प्रबंधन में।
  3. सामूहिक कर (पिंडकार): ग्राम समूहों पर लगाया जाता था, वस्तु या श्रम के रूप में।
  4. आपातकालीन कर (प्रणय): युद्ध या संकट ....

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