​प्राचीन भारत में प्रशासनिक अभिलेख

प्राचीन भारत के प्रशासनिक अभिलेखों को समझने के स्रोत विविध हैं, किन्तु इनमें महत्वपूर्ण सीमाएँ भी हैं क्योंकि ताड़पत्र (palm leaves) या कपड़े जैसी नाशवान सामग्री आज तक सुरक्षित नहीं रह सकी। फिर भी, शेष बचे अभिलेखों—शिलालेखों, साहित्यिक कृतियों और विदेशी यात्रियों के विवरणों—से पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है।

प्रमुख साहित्यिक स्रोत

  • कौटिल्य का अर्थशास्त्र (चतुर्थ शताब्दी ई.पू., मौर्यकाल): यह राज्यशास्त्र का आधारभूत ग्रंथ है। इसमें राज्य प्रशासन का विस्तृत विवरण मिलता है—अधिकारियों की श्रेणी (तीर्थ और अध्यक्ष), विभिन्न विभागों (व्यापार, कृषि, टकसाल) की भूमिकाएँ, राजस्व-संग्रह प्रणाली (युक्त और रज्जुक) तथा गुप्तचर-जाल (गूढ़पुरुष) का उल्लेख, जो अधिकारियों और जनता पर निगरानी रखते ....
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