गुप्त काल में विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था

गुप्त प्रशासन (चौथी–छठी शताब्दी ईस्वी) प्राचीन भारतीय शासन-पद्धति का एक विशिष्ट चरण था, जिसमें मजबूत केन्द्रीय सत्ता के साथ-साथ क्षेत्रीय एवं स्थानीय स्वायत्तता का उत्कृष्ट संतुलन देखने को मिलता है। यद्यपि राजा सर्वोच्च शक्ति का धारक था और उसके अधीन मंत्रिपरिषद तथा दरबारी अधिकारी कार्य करते थे, फिर भी प्रांतों, जिलों और ग्रामों को प्रशासनिक रूप से पर्याप्त स्वतंत्रता प्राप्त थी।

यह प्रणाली शासन की दक्षता, उत्तराधिकार की स्थिरता तथा सैन्य शक्ति को सुनिश्चित करती थी। विदेशी यात्री फाह्यान (Fa-Hien) के विवरणों से ज्ञात होता है कि गुप्त शासन मृदु, कल्याणकारी और समृद्धिशाली था।
शासन की सामान्य विशेषताएं
गुप्त साम्राज्य का प्रशासन मुख्यतः ....

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