जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून व्यवहार में परिवर्तन

भारतीय मानसून का व्यवहार पिछले चार दशकों में स्पष्ट रूप से बदल रहा है। कुल वर्षा स्थिर रही है, लेकिन वितरण, तीव्रता और समय में गंभीर विचलन दिख रहे हैं। 2024 में 934.8 मिमी वर्षा (107.6% LPA) के बावजूद, 2,632 अति-भारी वर्षा घटनाएं (5 वर्ष में सर्वाधिक) दर्ज हुईं। यह परिवर्तन कृषि, जल और आर्थिक सुरक्षा को प्रभावित कर रहा है।

मानसून

  • मानसून ऋतु के अनुसार पवन दिशा में परिवर्तन है। ग्रीष्म में समुद्र से भूमि की ओर (आर्द्र), शीत में भूमि से समुद्र की ओर (शुष्क)।
  • भौगोलिक तंत्र:
    • भूमि और समुद्र की विभेदक तापन दर → तापीय विरोधाभास।
    • ग्रीष्म: भूमि गर्म ....
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