मध्यकालीन समाज : वर्गीय विभाजन एवं व्यवसायिक संरचना

मध्यकालीन भारतीय समाज (लगभग 8वीं से 18वीं शताब्दी ईस्वी) का स्वरूप राजनैतिक, धार्मिक और आर्थिक परिवर्तनों से गहराई से प्रभावित था। क्षेत्रीय राज्यों, दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य के शासन के दौरान समाज क्रमबद्ध (Hierarchical), व्यवसाय-आधारित और मुख्यतः कृषि प्रधान रहा। धर्म और प्रथागत कानूनों ने सामाजिक वर्गों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया।

  • इस युग की जानकारी साहित्यिक ग्रंथों, दरबारी इतिहासों, यात्रियों के वृत्तांतों, अभिलेखों तथा प्रशासनिक कार्यालयी ग्रंथों से प्राप्त होती है। वर्गीय विभाजन और पेशागत संगठन ने सामाजिक गतिशीलता, आर्थिक भूमिकाओं और नगर-ग्राम संबंधों को निर्धारित किया, जो प्राचीन वर्ण-व्यवस्था की निरंतरता के साथ-साथ मध्यकालीन परिस्थितियों के अनुरूप ....
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