गिग इकोनॉमी और प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजीज

गिग इकोनॉमी में प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजीज (जैसे ओला, उबर, स्विगी, ज़ोमैटो, अमेज़न, फ्लिपकार्ट) के माध्यम से अस्थायी, लचीले और मांग-आधारित कार्य तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • भारत में यह क्षेत्र कई लोगों को रोजगार देने की संभावना रखता है, लेकिन श्रमिक अधिकारों और नियमन को लेकर कई गंभीर चुनौतियाँ भी सामने आई हैं।

नियामक चुनौतियाँ

  • स्पष्ट कानूनी स्थिति का अभाव: अधिकांश गिग वर्कर्स को "स्वतंत्र ठेकेदार" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिससे वे न्यूनतम वेतन, कार्य घंटे, सामाजिक सुरक्षा, और अन्य श्रमिक अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा की कमी: सेवानिवृत्ति, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, और बेरोज़गारी ....
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