जैव विविधता संरक्षण में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की भूमिका

जैव विविधता संरक्षण के पारंपरिक तरीकों के साथ अब तकनीकी नवाचारों का समन्वय हो रहा है। उपग्रह चित्रण, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ताआधारित प्रजाति पहचान, पर्यावरणीय डीएनए (e-DNA ) तकनीक और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे उपकरण संरक्षण प्रयासों को अधिक सटीक, तीव्र और व्यापक बना रहे हैं। ये प्रौद्योगिकियाँ न केवल पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी और प्रवर्तन क्षमता को सशक्त बनाती हैं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं, जैव विविधता संधि (CBD) और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs), को पूरा करने में भी केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।

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