मौर्योत्तर कालीन साहित्य

मौर्योत्तर कालीन साहित्य (लगभग 200 ई.पू.–300 ई.) भारतीय बौद्धिक और सांस्कृतिक इतिहास का वह चरण है, जब मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद विविध विचारधाराओं, धार्मिक परंपराओं और क्षेत्रीय भाषाओं का प्रसार हुआ। यह काल वैदिक–उपनिषद् परंपरा और गुप्त युग की शास्त्रीय साहित्यिक केंद्रीकरण—इन दोनों के मध्य एक सेतु के रूप में उभरा। इस युग में धार्मिक ग्रंथों का विकास, ज्ञान का संहिताकरण, और स्थानीय भाषाओं में साहित्य की समृद्ध परंपरा देखी गई।

  • इस युग में महत्त्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों का उदय हुआ, ज्ञान का संहिताकरण हुआ और क्षेत्रीय भाषाओं का उत्कर्ष हुआ।
  • यह काल उपनिषदों के दार्शनिक युग और गुप्तकालीन शास्त्रीय साहित्य ....
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