संवैधानिक नैतिकता का सिद्धांत : हालिया सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों में व्याख्या

संवैधानिक नैतिकता (Constitutional Morality) का सिद्धांत संविधान के शब्दशः अर्थ से आगे बढ़कर उसके मूल मूल्यों और सिद्धांतों—जैसे स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व—के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोकप्रिय या सामाजिक नैतिकता संविधान के मूल सिद्धांतों को प्रभावित न करे। इसे न्यायिक विवेक के रूप में देखा जा सकता है, जो समाज में बहुसंख्यक दबावों के बावजूद संविधान की आत्मा को बनाए रखता है।

हालिया विकास

  • सर्वोच्च न्यायालय ने इस सिद्धांत का उपयोग वंचित समूहों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए बढ़-चढ़कर किया है।
  • मनोज नारुला बनाम भारत संघ (2014): न्यायालय ने कहा कि ....

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