शक्तियों का पृथक्करण: हालिया विधायी और न्यायिक टकराव

शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत किसी भी लोकतंत्र की आधारशिला है, जो सरकारी सत्ता को तीन अलग-अलग शाखाओं में विभाजित करता है: विधायिका, जो कानून बनाती है; कार्यपालिका, जो उन्हें लागू करती है; और न्यायपालिका, जो उनकी व्याख्या करती है। हालाँकि भारतीय संविधान इस सिद्धांत को स्पष्ट रूप से संहिताबद्ध नहीं करता है, फिर भी यह इसके मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है।

हालिया घटनाक्रम

  • राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को लेकर विवाद।
  • 2014 का 99वां संवैधानिक संशोधन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को बदलकर छह-सदस्यीय आयोग लाने का प्रयास था।
  • आयोग में केंद्रीय कानून मंत्री ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष