चालुक्य स्थापत्य कला (वातापी/बदामी)

प्रारंभिक चालुक्य (6वीं–8वीं सदी ईस्वी) का स्थापत्य दक्षिण भारत की मंदिर परंपरा में एक निर्णायक संक्रमण-काल था।

  • इसने गुप्तकालीन आरंभिक मंदिरों से लेकर विकसित नागर और द्रविड़ शैलियों के बीच सेतु का कार्य किया और आगे चलकर मिश्रित वेसर शैली के उद्भव की नींव रखी।

विकास की अवस्थाएँ और प्रमुख स्थल

चरण/स्थल

स्थापत्य रूप

प्रमुख विशेषताएँ

सांस्कृतिक प्रभाव

गुफा मंदिर चरण (बादामी)

543–578 ई. के बीच काटी गई चार गुफाएँ विष्णु, शिव और जैन तीर्थंकरों को समर्पित।

प्रारंभिक विमान और मंडप रूप; स्तंभों में ब्रैकेट-कैपिटल शैली (Bracket-Capital Style) जो बाद में होयसल कला में विकसित हुई।

धार्मिक सह-अस्तित्व — एक ही स्थान पर तीन धर्मों के ....

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