प्रारंभिक वैदिक काल में जनजातीय राजनीतिक संगठन

ऋग्वैदिक समाज जनजातीय और पितृसत्तात्मक था। यह कुलों और जनजातियों में विभाजित था, जिनका नेतृत्व राजन करता था। राजन सभा, समिति और विदथ जैसी जन-सभाओं के सहयोग से शासन करता था। समय के साथ, यह व्यवस्था रक्त-संबंधों पर आधारित कबीलाई शासन से विकसित होकर वंशानुगत राजत्व और भौगोलिक राज्य-सत्ता (प्रादेशिक राज्यों) में परिवर्तित हो गई, जो उत्तर वैदिक काल की विशेषता बनी।

राजन की भूमिका एवं उसके अधिकार

  • राजन को जनस्य गोप (जनता का रक्षक) कहा गया है।
  • उनकी प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
    • युद्धों और पशु हमलों (गोरक्षण युद्धों) में जनजाति का नेतृत्व करना।
    • जन एवं पशुधन (गो-संपत्ति) की सुरक्षा सुनिश्चित ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष