ब्रिटिश शासन का भारत की कृषि और किसानों पर प्रभाव (1757–1947)

ब्रिटिश शासन से पहले भारतीय कृषि आत्मनिर्भर, ग्राम-आधारित और स्थानीय आवश्यकताओं व हस्तशिल्प उत्पादन से जुड़ी हुई थी। लेकिन अंग्रेज़ों के शासनकाल में यह कृषि व्यवस्था बदलकर एक व्यावसायिक, राजस्व-संग्रहण और निर्यात-उन्मुख प्रणाली बन गई, जिसका उद्देश्य केवल ब्रिटिश उद्योगों और साम्राज्य की जरूरतें पूरी करना था। इस परिवर्तन ने भारत की कृषि को ठहराव, किसानों को कर्ज़ और अकालों के दुष्चक्र में धकेल दिया और इसी ने भारत के औपनिवेशिक अविकास की नींव रखी।

नए भू-राजस्व प्रणालियों की शुरुआत

व्यवस्था

क्षेत्र

प्रमुख विशेषताएँ

परिणाम

स्थायी बंदोबस्त (1793)

बंगाल, बिहार, उड़ीसा

ज़मींदारों को भूमि का स्थायी मालिक बना दिया गया; राजस्व स्थायी रूप से तय किया ....


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