अल्पसंख्यक अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता

भारत का संविधान, पंथनिरपेक्ष लोकतंत्र की बुनियाद के रूप में, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को सुदृढ़ सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 25 से 30 तक नागरिकों को अपने विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक अस्तित्व को मानने, प्रचारित करने और संरक्षित करने का अधिकार सुनिश्चित किया गया है। समय के साथ, न्यायपालिका की प्रमुख व्याख्याओं ने इन प्रावधानों को आकार दिया है। आज भी ये प्रावधान बहुलतावाद, सामाजिक न्याय और विविध समाज में राज्य के नियमन से जुड़ी बहसों के केंद्र में बने हुए हैं।

हालिया प्रगति

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