जलवायु-प्रेरित विस्थापन एवं नीतिगत ढाँचे की आवश्यकता

जलवायु परिवर्तन अब मानव विस्थापन का एक बड़ा कारण बन चुका है। समुद्र-स्तर वृद्धि, बाढ़, सूखा, चक्रवात और हिमनद पिघलन के कारण लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं। संघर्ष-जनित शरणार्थियों के विपरीत, जलवायु-प्रेरित प्रवासियों को न तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और न ही घरेलू कानून में कोई मान्यता प्राप्त है। भारत, जिसकी 7,500 किमी- तटरेखा, हिमालयी हिमनद और सूखा-प्रवण आंतरिक क्षेत्र हैं, विशेष रूप से असुरक्षित है।

हालिया प्रगति

  • UNHCR रिपोर्ट 2023 के अनुसार, विश्वभर में 21.5 मिलियन लोग प्रतिवर्ष मौसम-जनित आपदाओं के कारण विस्थापित होते हैं।
  • भारत में IDMC अनुमान 2022: 2-5 मिलियन आपदा-जनित विस्थापन, जो ....

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