दक्षिण भारतीय राजवंश

दक्षिण भारत का प्राचीन इतिहास राजवंशों, साहित्य और सांस्कृतिक उपलब्धियों की समृद्ध धरोहर से परिपूर्ण है। मेगालिथिक युग से शुरू होकर यह इतिहास संगम युग (लगभग 300 ईसा पूर्व–300 ईस्वी) तक पहुँचा, जब चेरा, चोल और पांड्य राजवंश प्रमुख बने, जिनका समर्थन सजीव तमिल सभाएं और साहित्य करती थीं।

  • समय के साथ, पल्लव, चालुक्य, राष्ट्रकूट, होयसल और काकतीय जैसे शक्तिशाली राज्य व्यापार, वास्तुकला, मंदिर निर्माण और साहित्यिक संरक्षण के माध्यम से राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देते रहे। इन राजवंशों ने मिलकर दक्षिण भारत की विशिष्ट पहचान स्थापित की और कला, वास्तुकला, तथा साहित्य में स्थायी धरोहर छोड़ी।

चोल राजवंश

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