परिवार, संबंध (कुटुंब) एवं विवाह व्यवस्था

प्राचीन भारत की सामाजिक संरचना को समझने के लिए परिवार, संबंध और विवाह की प्रणालियाँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन संस्थाओं ने उत्तराधिकार, सामाजिक भूमिकाओं और सामुदायिक एकता को नियंत्रित किया। वैदिक ग्रंथ, धर्मसूत्र, महाकाव्य (रामायण, महाभारत), अभिलेख तथा सिंधु घाटी, ताम्रपाषाण और प्रारंभिक ऐतिहासिक काल की पुरातात्त्विक सामग्री, इस विषय के प्रमुख स्रोत हैं। जनजातीय और कुल-आधारित समाज से लेकर वर्ण-आधारित संरचना तक इन प्रणालियों ने निरंतर विकास किया, जो आर्थिक परिवर्तनों, धार्मिक विचारों और क्षेत्रीय विविधताओं को दर्शाता है। इन्होंने न केवल सामाजिक स्थिरता बल्कि संस्कृतिक निरंतरता को भी आकार दिया।

कालानुसार विकास

प्रारंभिक वैदिक काल (लगभग ....

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