​औपनिवेशिक काल में अभिलेख-रखाव एवं आधुनिक नौकरशाही प्रणाली की शुरुआत

ब्रिटिश शासन के तहत अभिलेख-रखाव और नौकरशाही प्रणाली पहले के मौर्य और मुगल काल की विकेंद्रीकृत व्यवस्थाओं से पूरी तरह भिन्न हो गई। यह प्रणाली अत्यधिक केंद्रीकृत, सुव्यवस्थित और राजस्व-केंद्रित थी। इसका मुख्य उद्देश्य नियंत्रण को मजबूत करना और जनसंख्या का वर्गीकरण करना था। इस शोषणात्मक ढाँचे ने भारतीय प्रशासनिक और सामाजिक संरचनाओं पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ा।

अभिलेख-रखाव में बदलाव

  • अभिलेखागार संस्थानों की स्थापना: ब्रिटिश शासन ने महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज़ों के संरक्षण के लिए विशेष अभिलेखागार संस्थान स्थापित किए। उदाहरण के लिए, नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया की स्थापना 1891 में हुई। इस तरह के संस्थान सरकारी अभिलेखों को व्यवस्थित रूप ....
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