प्राचीन भारत में कृषि–उपकरण और सिंचाई प्रणाली

कृषि प्राचीन भारत की आर्थिक रीढ़ थी, हर युग में, सिंधु सभ्यता से लेकर गुप्त काल तक, समाज का अधिकांश हिस्सा इसी पर निर्भर था। उपकरणों, तकनीकों और सिंचाई प्रणालियों के विकास ने न केवल तकनीकी प्रगति को दर्शाया, बल्कि पर्यावरणीय अनुकूलन की परिपक्वता को भी प्रतिबिंबित किया। भारत की कृषि धीरे-धीरे नदी घाटियों पर निर्भरता से निकलकर कृत्रिम सिंचाई और लौह–हल आधारित खेती की ओर बढ़ी, जिससे एक स्थिर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की नींव पड़ी।

प्रागैतिहासिक काल (सिंधु या हड़प्पा सभ्यता, लगभग 2600–1900 ई.पू.)

कृषि प्रणाली

  • हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल और धोलावीरा जैसे स्थलों से खेती के व्यापक प्रमाण ....


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