भारत के औपनिवेशिक इतिहास के प्रमुख व्यापारिक केंद्र

औपनिवेशिक युग (1600–1900 ई.) के दौरान भारत के पारंपरिक व्यापारिक केंद्रों को यूरोपीय व्यापारिक शक्तियों — पुर्तगाली, डच, अंग्रेज़ और फ़्रांसीसी — ने पूरी तरह बदल दिया। पुराने शहरी बाजार जैसे दिल्ली और सूरत के साथ-साथ मद्रास, बम्बई और कलकत्ता जैसे नये औपनिवेशिक बंदरगाह उभरे, जो ब्रिटिश साम्राज्यवादी व्यापार की मुख्य धमनियाँ बन गए। इन केंद्रों ने भारत के कृषि-प्रधान आंतरिक क्षेत्रों को वैश्विक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था से जोड़ा, जहाँ से कच्चा माल निर्यात हुआ और विदेशी तैयार माल आयात हुआ।

प्रारम्भिक औपनिवेशिक व्यापारिक केंद्र (16वीं–17वीं सदी)

सूरत (गुजरात)

  • स्थिति और महत्व: तापी नदी के तट पर, अरब सागर के ....


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