​पंचायती राज व्यवस्था का संवैधानिकीकरण (73वां और 74वां संशोधन)

भारत में 1992 में हुए 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियमों के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई — यह भारतीय लोकतंत्र में विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर सिद्ध हुआ। इन संशोधनों ने स्थानीय स्वशासन को केवल राज्य नीति निदेशक सिद्धांतों के अंतर्गत एक अनुशंसा मात्र से उठाकर संविधान द्वारा अनिवार्य रूप से संरक्षित शासन-स्तर बना दिया अर्थात अब यह शासन का तीसरा संवैधानिक स्तंभ है।

73वां संशोधन अधिनियम, 1992

  • संवैधानिक स्थिति : इस अधिनियम ने संविधान में एक नया भाग IX जोड़ा, जिसका शीर्षक था "पंचायत", जिससे राज्यों के लिए इस प्रणाली ....
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