​राजनीतिक विकास में वायसराय एवं गवर्नर जनरल की भूमिका

ब्रिटिश भारत में गवर्नर-जनरल (1773–1858) और वायसराय (1858–1947) सर्वोच्च कार्यकारी प्राधिकारी थे, जिन्होंने राजनीतिक और प्रशासनिक विकास में केंद्रीय भूमिका निभाई। प्रारंभ में, गवर्नर-जनरल (1773 से, पहले वॉरेन हेस्टिंग्स) कम्पनी शासन के तहत तीन प्रेसिडेंसी का संचालन करता था; 1858 में कम्पनी शासन के समाप्त होने के बाद वायसराय ब्रिटिश क्राउन का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि बन गए।

  • इनकी जिम्मेदारियों में साम्राज्यवादी नीतियों को लागू करना, विधायी एवं न्यायिक सुधारों की निगरानी, रियासतों के साथ संबंध प्रबंधन और विशेषकर राष्ट्रवादी आंदोलनों के समय राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ शामिल थीं।
  • इनके व्यक्तिगत निर्णय और सामूहिक योगदान ने औपनिवेशिक भारत के कानूनी, प्रशासनिक और संवैधानिक विकास को ....
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