​ब्रिटिश न्यायिक सुधार और उच्च न्यायालयों की स्थापना

ब्रिटिश काल में न्यायिक सुधारों ने भारत की न्याय-व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने न्यायालयों की श्रेणीबद्ध प्रणाली, संहिताबद्ध कानून और अंग्रेजी मॉडल पर आधारित पेशेवर न्यायपालिका का निर्माण किया। इन सुधारों की परिणति 1862 में उच्च न्यायालयों की स्थापना के रूप में हुई, जिससे भारत की विविध न्यायिक व्यवस्थाएँ एकीकृत हुईं।

न्यायिक सुधारों के प्रमुख चरण

वॉरेन हेस्टिंग्स की योजना (1772-1773)

  • बंगाल के गवर्नर के रूप में हेस्टिंग्स ने केंद्रीकृत न्यायिक प्रणाली की नींव रखी।
  • प्रत्येक जिले में एक दीवानी अदालत (सिविल कोर्ट) और एक फौजदारी अदालत (क्रिमिनल कोर्ट) की स्थापना की।
  • दीवानी मामलों की सुनवाई जिला कलेक्टर द्वारा की जाती थी, जिसके ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष