भक्ति एवं सूफी आंदोलन : सामाजिक-सांस्कृतिक समन्वय और भक्तिकाव्य परंपरा

भक्ति एवं सूफी आंदोलन भारत के मध्यकाल में दो समानांतर आध्यात्मिक क्रांतियाँ थीं, जिन्होंने व्यक्तिगत, निष्कपट भक्ति को अनुष्ठानिक कर्मकांड और जाति-धर्म के बंधनों से ऊपर रखा। इन आंदोलनों ने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया, एक अद्भुत संस्कृति-संमिश्रण (Syncretic Culture) का निर्माण किया और लोकभाषाओं में अपार भक्तिकाव्य-साहित्य की रचना की, जिसने भारतीय जनमानस को स्थायी रूप से रूपांतरित कर दिया।

भक्ति आंदोलनों का विकास

काल

प्रमुख घटनाएँ और केंद्रबिंदु

सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव और साहित्य

प्रारंभिकमध्यकालीन

दक्षिण भारत मेंआलवार (वैष्णव भक्त कवि) और नयनार (शैव भक्त कवि) संतों ने भक्ति-परंपरा की नींव रखी। उन्होंने दूर-दूर तक यात्रा की और स्थानीय भाषाओं ....

क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष