दिव्यांगजन के अधिकार: विधिक एवं नीतिगत प्रगति

भारत का दृष्टिकोण दिव्यांगता के संदर्भ में परोपकारी मॉडल से अधिकार-आधारित ढाँचे की ओर अग्रसर हुआ है, जिसमें समानता, गरिमा और समावेशन को केंद्र में रखा गया है। इस बदलाव को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 ने और सुदृढ़ किया, जिसने संयुक्त राष्ट्र दिव्यांगजन अधिकार अभिसमय (UNCRPD) से सामंजस्य स्थापित किया और दिव्यांगता को केवल चिकित्सीय स्थिति न मानकर समाज द्वारा निर्मित अवरोध के रूप में पुनर्परिभाषित किया। वर्तमान विधिक एवं नीतिगत परिदृश्य अब इस दिशा में केंद्रित है कि दिव्यांगजन को अधिकारों और अवसरों तक समान पहुँच सुनिश्चित हो।

हालिया प्रगति

  • दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016: इस अधिनियम ने पूर्ववर्ती दिव्यांगजन ....

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