वैदिक एवं उत्तर वैदिक काल में सामाजिक संरचना

वैदिक काल (1500–1000 ई.पू.) और उत्तर वैदिक काल (1000–500 ई.पू.) भारतीय सामाजिक संगठन की जड़ों को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

  • इस काल में समाज का स्वरूप जनजातीय और गोत्रीय संगठन से विकसित होकर एक व्यवस्थित वर्ण-आधारित पदानुक्रम (Hierarchical Stratification) में बदल गया। यह परिवर्तन अर्थव्यवस्था, राजनीति और धार्मिक विचारधारा में हुए व्यापक बदलावों का परिणाम था।
  • इस काल की जानकारी हमें ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथों और उपनिषदों से मिलती है, साथ ही गंगा के मैदानों और पंजाब क्षेत्र में मिले पुरातात्त्विक अवशेषों से भी समाज की संरचना का चित्र स्पष्ट होता है।
  • इस युग में सामाजिक भूमिकाओं, व्यवसायों और शासन-व्यवस्था ....
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