संवैधानिक व्याख्या और सर्वोच्च न्यायालय का परामर्शात्मक क्षेत्राधिकार

भारत का सर्वोच्च न्यायालय संविधान का अंतिम व्याख्याता है। विवादों के निपटारे के साथ-साथ यह अनुच्छेद 143 के तहत परामर्शात्मक प्रश्नों पर राय भी देता है, जिससे क़ानून में स्पष्टता आती है, विधि का शासन सुदृढ़ होता है और संविधान को समाज की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप गतिशील बनाए रखा जाता है।

हालिया घटनाक्रम

  • 2025 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अनुच्छेद 143(1) के तहत सर्वोच्च न्यायालय से पूछा कि क्या राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा तय की जा सकती है।
  • यह अनुरोध %पॉकेट वीटो% जैसी देरी संबंधी कार्रवाइयों के खिलाफ तमिलनाडु केस (2025) के ....

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