​प्राचीन भारत में भू-राजस्व की प्रारम्भिक प्रथाएँ

भारत में भू-राजस्व की प्रारम्भिक प्रथाएँ साधारण कर और उपहार से विकसित होकर कृषि उपज के हिस्से पर आधारित संगठित प्रणाली तक पहुँचीं। भू-राजस्व राज्य की आय का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत था और प्राचीन राज्यों के प्रशासन तथा अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता था।

  1. कर-प्रणाली (वैदिक काल का प्रारम्भिक चरण)
    • बली: प्रारम्भ में बली एक स्वैच्छिक अर्पण या कर था, जिसमें प्रजा अपनी कृषि उपज या पशुधन का एक अंश राजा को सम्मान स्वरूप देती थी।
    • कर में रूपांतरण: समय के साथ, विशेषकर उत्तर वैदिक काल में, बली एक अनिवार्य कर में परिवर्तित हो गया, जिसे राज्य द्वारा नियमित रूप से वसूला जाने ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष