इंडो-ग्रीक, शक, कुषाण एवं सातवाहन साम्राज्यों की व्यापार नीतियाँ

ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी से लेकर ईस्वी तीसरी शताब्दी तक भारत में व्यापार और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में गहरा परिवर्तन हुआ। इस काल में विदेशी इंडो-ग्रीक (यवन), शक (सीथियन), कुषाण और देशी सातवाहन प्रमुख रूप से सक्रिय थीं।

  • इन साम्राज्यों ने लंबी दूरी के व्यापार, शहरीकरण और मुद्रा आधारित अर्थव्यवस्था (Monetisation) को बढ़ावा दिया।
    उनकी व्यापार नीतियों ने भारत को भूमध्यसागर से लेकर पूर्वी एशिया तक फैले वैश्विक व्यापार तंत्र से जोड़ दिया।
    इन नीतियों से न केवल आर्थिक समृद्धि आई, बल्कि सांस्कृतिक मेलजोल, कलात्मक समन्वय और राज्य-निर्माण को भी प्रोत्साहन मिला।

इंडो-ग्रीक (यवन) व्यापार नीतियाँ (लगभग 200 ई.पू. – ....

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