​प्रारंभिक राष्ट्रवादी चरण: नरमपंथी बनाम गरमपंथी

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नरमपंथियों और गरमपंथियों के बीच संघर्ष ने स्वतंत्रता संग्राम के प्रति दो अलग-अलग दृष्टिकोणों को दर्शाया। यह संघर्ष केवल विचारों का विरोध नहीं था, बल्कि भारत के राजनीतिक भविष्य के लिए दो प्रत्यक्ष रणनीतियों के बीच टकराव था। नरमपंथी, जिनका नेतृत्व दादाभाई नौरोजी और गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेताओं ने किया, संविधानिक ढांचे के भीतर धीरे-धीरे सुधार लाने के पक्ष में थे। उनका मानना था कि याचिकाओं, भाषणों और शांतिपूर्ण अपीलों के माध्यम से परिवर्तन संभव है। इसके विपरीत, गरमपंथी, जिनका नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय ने किया, प्रत्यक्ष क्रियाओं, ....

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