प्रारंभिक मध्यकालीन भारत में सामंती शासन-व्यवस्था

प्रारम्भिक मध्यकालीन समाज को केवल स्वामी और कृषक (lords and peasants) के द्वैत से परिभाषित नहीं किया जा सकता — यह उससे कहीं अधिक जटिल था।

  • वस्तुतः यह एक ब्राह्मणीय वैचारिक संरचना थी, जिसके माध्यम से समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति को एकीकृत करने में ब्राह्मणों, मन्दिरों और मठों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • प्रारम्भिक मध्यकालीन युग की सबसे बड़ी विशेषता क्षेत्रीय समाजों के क्रमिक गठन में निहित थी। गुप्त साम्राज्य ने भूमिदान प्रणाली के माध्यम से सामन्तीय प्रवृत्तियों की नींव रखी।

सामंती राजनीति का विकास

  • पाँचवीं शताब्दी ईस्वी से भूमिदानों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई। विशेषतः मध्य भारत के गुप्त सामन्तों द्वारा ब्राह्मणों को ....
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