प्राचीन भारत की शैक्षणिक विरासत

प्राचीन भारत की शैक्षणिक विरासत का स्वरूप तक्षशिला, नालन्दा और विक्रमशिला जैसे परिष्कृत शिक्षण-केन्द्रों से परिभाषित होता है। ये केन्द्र प्रारम्भ में विशिष्ट विषयों के शिक्षण-स्थल थे, परन्तु समय के साथ ये विशाल आवासीय विश्वविद्यालयों में विकसित हुए।

  • इन संस्थानों ने न केवल धार्मिक और दार्शनिक चिंतन को आकार दिया, बल्कि केंद्रीकृत, विशिष्ट और आवासीय उच्च शिक्षा के आदर्श भी प्रस्तुत किए।
  • ये वैश्विक बौद्धिक केन्द्र बने, जहाँ से ज्ञान का प्रसार एशिया के विभिन्न भागों तक हुआ।

विकास एवं विशेषज्ञता

काल

तक्षशिला (लगभग 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व - 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व)

नालंदा (लगभग 5वीं शताब्दी – 13वीं शताब्दी .)

विक्रमशिला (लगभग 8वीं ....

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