ब्रिटिश शासन के दौरान स्थानीय शासन व्यवस्था (पंचायती राज प्रणाली का उद्भव)

ब्रिटिश शासनकाल में भारत की पारंपरिक स्थानीय शासन प्रणाली — विशेष रूप से ग्राम पंचायत व्यवस्था — औपनिवेशिक केंद्रीकरण और आर्थिक नीतियों के कारण गंभीर रूप से प्रभावित हुई। जहाँ एक ओर अंग्रेज़ों ने स्वशासी ग्राम-समुदायों को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया, वहीं बाद के वर्षों में उन्होंने सीमित लोकतांत्रिक सुधारों के माध्यम से स्थानीय स्वशासन की अवधारणा को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। यही प्रयास आगे चलकर स्वतंत्र भारत में पंचायती राज प्रणाली की नींव बने।

मुख्य संकेत

  • पारंपरिक पंचायतों का दमन: औपनिवेशिक शासन के प्रारंभिक चरण में ब्रिटिश नीतियों ने स्वावलंबी ग्राम समुदायों और उनकी पंचायतों को क्रमबद्ध रूप से ....
क्या आप और अधिक पढ़ना चाहते हैं?
तो सदस्यता ग्रहण करें

वार्षिक सदस्यता लें मात्र 600 में और पाएं...
पत्रिका की मासिक सामग्री, साथ ही पत्रिका में 2018 से अब तक प्रकाशित सामग्री।
प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा पर अध्ययन सामग्री, मॉक टेस्ट पेपर, हल प्रश्न-पत्र आदि।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित चुनिंदा पुस्तकों का ई-संस्करण।
पप्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के चुनिंदा विषयों पर वीडियो क्लासेज़।
क्रॉनिकल द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर अतिरिक्त छूट।
प्रारंभिक विशेष