​व्यपगत सिद्धांत एवं विलय नीति

‘व्यपगत सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) ईस्ट इंडिया कम्पनी के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौज़ी (1848–1856) द्वारा प्रतिपादित एक औपचारिक विलय-नीति थी। इस सिद्धांत के अनुसार यदि किसी देशी रियासत का शासक प्राकृतिक उत्तराधिकारी (पुत्र) के बिना मर जाए और गोद लिए गए उत्तराधिकारी को कम्पनी द्वारा मान्यता न दी जाए, तो उस राज्य को ब्रिटिश शासन में व्यपगत (लैप्स) घोषित कर दिया जाता था।

  • ‘विलय की व्यापक नीति’ (Annexation Policy) केवल व्यपगत सिद्धांत तक सीमित नहीं थी; इसमें कुशासन, संधि-उल्लंघन, अपराध या अधिग्रहण (forfeiture), उत्तराधिकारी का अभाव (escheat) आदि अनेक विधिक-प्रशासनिक आधारों पर रियासतों का विलय शामिल था।
  • इस नीति का लक्ष्य था—कम्पनी ....
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