कला और संस्कृति पर मध्यकालीन साहित्यकार

10वीं से 17वीं शताब्दी के बीच के मध्यकालीन विद्वान और रचनाकारों ने भारतीय कला परम्परा को सैद्धांतिक और सांस्कृतिक दोनों स्तरों पर संगठित किया। उन्होंने न केवल संगीत, नाट्य, स्थापत्य और चित्रकला को व्यवस्थित रूप में लिखा, बल्कि भारतीय और इस्लामी सौंदर्य दृष्टियों का गहन संश्लेषण भी प्रस्तुत किया।

प्रमुख साहित्यकार एवं उनका योगदान

साहित्यकार/काल

प्रमुख कृति/विषय

योगदान

सांस्कृतिक महत्व

अभिनवगुप्त (10वीं–11वीं सदी)

अभिनवभारती (नाट्यशास्त्र पर टीका): रस और ध्वनि सिद्धान्त का दार्शनिक व्याख्यान।

भारतीय सौंदर्यशास्त्र का शिखर — कला का उद्देश्य “रस” उत्पन्न कर सौंदर्य का अनुभव देना।

शास्त्रीय परम्परा की निरंतरता और उच्च ....

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