भारतीय उद्यमिता एवं आधुनिक उद्योगों का उदय (1858–1947)

1858 से 1947 का दौर भारतीय औद्योगिक पूँजीवाद के विकास का निर्णायक काल था, जब देशी उद्यमियों ने औपनिवेशिक शोषण के बीच भी आधुनिक उद्योगों की नींव रखी। ब्रिटिश नीतियों का उद्देश्य भारत को केवल कच्चा माल आपूर्ति करने वाला देश और ब्रिटिश वस्तुओं का उपभोक्ता बनाए रखना था। फिर भी, जमशेदजी टाटा, द्वारकानाथ टैगोर, घनश्यामदास बिड़ला, पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास और अंबालाल साराभाई जैसे उद्यमियों ने भारतीय औद्योगिक आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया।

  • भारतीय उद्यमिता ने व्यापारी पूँजीवाद से औद्योगिक पूँजीवाद तक की यात्रा तय की, जहाँ पारंपरिक कारीगरी आधुनिक तकनीक से जुड़ी। स्वतंत्रता के बाद नेहरू युग के औद्योगिकीकरण (5 वर्षीय ....
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